________________ आगमो दारक कृति // 23 // स्थाद्विवादनं / आतेऽस्मिंचते शीनं, नैवं धर्मविषादनम् // 499 // भूयांसो धार्मिका वादा, असत्याः सत्यक- यतिधमी पिणः / धर्मा यतो महाघे यवनकार्य च भूरि तत् // 423 // परीक्षा दुर्लभा तत्र,सर्वेयधर्मवादिनः / आग्रहक दस्तत्त्वात् , सत्यो धर्मः सुभाग्यतः // 494 // परेशा धृष्टतां धृत्वाऽशात्या जीवान् स्वरूपतः / लोकहेर्या प्रसान् जीवानाहुर्न स्थावरान् पुनः॥४९५॥अब्धिमुपेक्ष्य बिन्दु य, आख्यातीह नरोयथा ।तथाऽनन्तानुपेक्ष्यामी, स्तोकानेव जगुस्तकान् // 426 // झित्यप्तेजीमरुद्वानान्, सद्वित्रिचतुःपञ्चखान् / जीवान् जीवतया प्राहुयें सर्वशा यथार्थतः // 497 / जीवान्मत्वा सांस्तेऽपि, नोयुर्धर्म विधाऽमलं / शुद्धः कषेण भेदेन, तापेनाचारमार्गग // 428 // जीवानामुपकारः स्यात्, पारम्पर्यात् परस्परं / तदुपेक्ष्य वयोऽधम्य, जीवो जीवन मित्यगुः // 499 // असानामपि रक्षायै, नोपकरणानि चक्षिरे / रजोहत्यादिकान्येमिः, सम्भवोऽस्याः कथं भवेत् // 500 / जीवरक्षाविधिोक्ता, प्रमार्जनमुखोपि यः / नेर्यासमितिप्रमुखा, आचारोपि निदेशितः // 501 // हिंसाकारिषु येऽनर्था, दयाकारिषु ये गुणाः / तन्निन्दाप्रशंसा, पुष्टान्तास्तैश्च नोदिताः // 502 // मित्नामिन्ने तनोवि, हिंसाहिंसादिसम्भवः / नित्यानित्येऽविभौ जीवेश्वभ्रादिगतिसम्भवः // 503 // शुद्ध स्वर्ग भवेत्तापात) तथाऽर्थाः / स्वाद्विरः पुनः / कपाछेदोन तापोऽस्ति, लेशतोऽपि कुतीथिनाम् // 504 // योग्य आचारधर्माय, स यस्य स्या कुटुम्बिके गुणान्यायार्जितार्थाचा, पञ्चत्रिंशत् सुभमवत् // 505 // स्वयं चाक्षुद्रायः स्यादेकविंशतिसगुणैः। अलक्कतोयथा क्षेत्र, निम्नोन्नत्यादिवर्जितम् // 506 // दानशीलतपोभावा, बीजं धर्ममयं शुभ लोमेच्छामीकुचिन्ताबां, व्यवच्छेदाद्वितावहम् // 507 // मिथ्यादृष्टयुद्भवत्कर्म, सम्यगदृष्ट्या निरुध्यते / तथैवावतसम्भूतं यतादानेन रुध्यते // 506 // पापस्थानानि सम्यक्त्वाद, पापस्थानतया मनेत् / निरोद्धव्यानि धर्मायाशक्तः स्थूलान्यपि त्यजेत् // 509 // | चिन्तयेदात्मनाऽजन, सम्यग्दृष्टिः स्थिरांशयात् / प्राय शिवं तदध्वा तु, शुद्ध संवरनिर्जरे // 510 // वीक्षेत प्र. त्यह जीवं, संवृतं तपउद्यतम् / सुमार्गगं तथा च स्याद, कायपाती भवावटे // 511 // भव्यत्वपरिपाकेन, ऊ. ई यात्येनमा भयात् / सम्यक्रवहानचारित्रं, शुद्धाच्छुद्धतम प्रजेत् // 516 // जीवाजीवाश्रवन्धान, संवरं निजरी शिव / तत्त्वानि लघुकर्माती, धधीवातवाक्यतः 1513 // * सुक्ष्मवादरमेदेना-मन्तप्रत्येकमेदतः / ग. न - / Ac. Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust