SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वस्तुत्व गुण और वस्तु स्वातंत्र्य समकित : पिछले पाठ में हमने देखा कि प्रत्येक द्रव्य में पाये जाने वाले अस्तित्व गुण के कारण यह विश्व स्वयं-सिद्ध है। न कोई इसको उत्पन्न कर सकता है, न ही इसका नाश। तो एक प्रश्न जो सभी के मन में खड़ा होता है वह यह है कि भले ही इस विश्व का कोई कर्ता-हर्ता न हो लेकिन कोई इस विश्व का पालक (पालने वाला) तो हो ही सकता है। वैसे तो इस प्रश्न का बड़ा साधारण सा उत्तर यह है कि जिस वस्तु को अपनी उत्पत्ति और विनाश जैसे बड़े कामों के लिये दूसरों की जरुरत नहीं उसको अपने पालन जैसे छोटे काम के लिये दूसरों की जरुरत क्यों रहेंगी? प्रवेश : भाईश्री ! इसको गहराई में जाकर समझाईये न ? समकित : ठीक है ! इसको गहराई से समझने के लिये हर द्रव्य में पाये जाने वाले वस्तुत्व गुण के स्वरूप को समझते हैं। वस्तुत्व गुण का अर्थ है कि हर द्रव्य में ऐसी शक्ति पायी जाती है जिस शक्ति के कारण हर द्रव्य अपना प्रयोजन-भूत काम करने में सक्षम है यानि कि किसी भी द्रव्य को अपना प्रयोजन-भूत काम (पालन) करने के लिये किसी दूसरे द्रव्य की जरुरत नहीं है। प्रवेश : क्या इसको हम इस तरह भी कह सकते हैं कि प्रत्येक द्रव्य अपना प्रयोजनभूत काम करने में सक्षम और दूसरों का कार्य करने में असक्षम है ? समकित : हाँ, कह सकते हैं। वैसे भी हर द्रव्य में एक ऐसी अकर्तृत्व नाम की शक्ति मौजुद भी है जिस शक्ति के कारण एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का कुछ भी नहीं कर सकता। प्रवेश : यदि एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का कार्य नहीं कर सकता तो दूसरा भी इसका कार्य नहीं कर सकता क्योंकि सामान्य गुण तो सभी द्रव्यों में समान रूप से पाये जाते हैं ? 1.depth 2.intended 3.capable
SR No.035325
Book TitleSamkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalvardhini Punit Jain
PublisherMangalvardhini Foundation
Publication Year2019
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size117 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy