________________ समकित-प्रवेश, भाग-4 /1 बचपन में हम सबने एक कविता सुनी है- जॉनी-जॉनी यस पापा, ईटिंग शुगर, नो पापा...! क्या कभी हमने सोचा कि जॉनी ने झूठ क्यों बोला ? बहुत विचार करने पर इसके तीन ही कारण समझ में आते हैं: 1. जॉनी को शक्कर से राग' है और यदि वह सच बोलता है कि उसने ही शक्कर खायी है तो कल से शक्कर का डिब्बा छिपा कर रख दिया जायेगा। 2. जॉनी को कामवाली बाई से द्वेष है और यदि वह झूठ बोलेगा तो शक सीधा काम वाली बाई पर जायेगा और कामवाली बाई की छुट्टी हो जायेगी। 3. जॉनी को शक्कर सम्बन्धी अज्ञान है यानि कि जॉनी जानता ही नहीं जो उसके मुँह में है उसे शक्कर कहते हैं। अब हम जरा ठण्डे दिमाग से सोचें कि सखी होने के लिये आजतक हमने जिन-जिन लोगों से सलाह ली क्या वह ऐसे ही रागी-द्वेषी व अज्ञानी नहीं थे? और यदि थे तो फिर उनकी सलाह झूठी ही थी। इसी कारण आजतक उनकी सलाह के मुताबिक अनेक उपाय करने के बाबजूद भी हम सुख न पा सके बल्कि दुःख ही बढ़ता गया। अब यदि हमको सच्चा सुख पाना है और दुःख से मुक्त होना है तो ऐसे व्यक्तियों की सलाह लेना चाहिये जो कि रागी-द्वेषी न होकर वीतरागी हों और अज्ञानी न होकर सर्वज्ञ हों। प्रवेश : लेकिन रागी-द्वेषी, अज्ञानी व्यक्तियों की सलाह के मुताबिक उपाय करने पर भी तो लोग सुखी होते हुये देखे जाते हैं ? स्मकित : इसका उत्तर हमको आगे के पाठों में मिलेगा। जिस ज्ञान के साथ आनन्द न आये वह ज्ञान ही नहीं है, किन्तु अज्ञान है। -गुरुदेवश्री के वचनामृत 1.attachment 2.malice 3.related 4.ignorance 5.accordingly