________________ 1. सुख समकित : संसार के सभी जीव सुख चाहते हैं। चींटी से लेकर हाथी तक, मनुष्यों से लेकर देवताओं तक कोई भी जीव ऐसा नहीं है जो सुख न चाहता हो और संसार' में एक भी जीव ऐसा नहीं है जो सुख पाने का उपाय न कर रहा हो। कोई पड़े रहने में सुख मानता हैं तो पड़े रह कर और कोई हाथ-पैर चलाने में सुख मानता है तो हाथ-पैर चलाकर सुख पाने का उपाय कर रहा है। लेकिन इस सब के बाबजूद भी यह एक सर्वानुभूत-तथ्य है कि कोई भी संसारी जीव सुखी नहीं है, सभी को कुछ न कुछ दुःख लगा ही रहता है। जबकि ऐसा भी नहीं है कि इस जीव ने यह उपाय मनमाने किये हों बल्कि एक्सपर्स से सलाह लेकर किये हैं। यदि यह मानता है कि मेरा शरीर स्वस्र्थ्य रहने पर मैं सुखी रहूँगा तो अच्छे से अच्छे डॉक्टर की सलाह लेकर उपाय किये। यदि इसको लगा कि मेरे पास बेशुमार पैसा रहेगा तो में सुखी रहूँगा तो अच्छे से अच्छे सी.ए. की सलाह लेकर उपाय किये और यदि उसने सोचा कि आलीशान घर होने पर सुख होगा तो अच्छे से अच्छे आर्किटेक्ट की सलाह लेकर उपाय किये लेकिन यह सब कुछ करने के बाद भी सुख नहीं पा सका या यूँ कहो कि दुःख दूर नहीं हुआ। प्रवेश : क्या इन सभी व्यक्तियों की सलाह झूठी थी ? कोई झूठी सलाह क्यों देता है या झूठ क्यों बोलता है ? समकित : यदि इसके कारणों पर विचार किया जाये तो हमें तीन कारणे समझ में आते हैं: 1. राग 2. द्वेष 3. अज्ञान इसे हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं : 1.universe 2.measures 3.wellknown-fact 4.experts 5.advise 6.healthy 7.measures 8.persons 9.causes