________________ समकित-प्रवेश, भाग-3 अशुद्धता/अपूर्णता मूल कर्म प्रकृति उत्तर कर्म प्रकृति अज्ञान ज्ञानावरण कर्म | मति., श्रुत., अवधि., मनःपर्यय., केवल ज्ञानावरण कर्म अदर्शन दर्शनावरण कर्म| चक्षु, अचक्षु, अवधि, केवल, निद्रा, निद्रा-निद्रा, प्रचला, प्रचला-प्रचला, स्त्यानगृद्धि दर्शनावरण कर्म | मोह दर्शन मोहनीय कर्म | मिथ्यात्व सम्यक-मिथ्यात्व सम्यक्त्व मोहनीय | मोहनीय कर्म राग-द्वेष चारित्र मोहनीय कर्म | अनंतानुबंधी (क्रो.मा.मा.लो.) |अप्रत्याख्यानावरणीय -"प्रत्याख्यानावरणीय -"संज्वलन नोकषायः (हा.रा.अ.शो.भ.जु.स्त्री.पु.न.) असमर्थता / अंतराय कर्म दान अतंराय कर्म लाभ अंतराय कर्म भोग अंतराय कर्म उपभोग अंतराय कर्म वीर्य अंतराय कर्म संयोग आयु / | वेदनीय कर्म | | साता वेदनीय कर्म असाता वेदनीय कर्म आयु कर्म / देव आयु कर्म नरक आयु कर्म मनुष्य आयु कर्म तिथंच आयु कर्म नाम कर्म शुभ नाम कर्म अशुभ नाम कर्म गोत्र कर्म उच्च गोत्र कर्म निम्न गोत्र कर्म शरीरादि कुल