________________ तीर्थकर पार्श्वनाथ समकित : आज हम मोक्ष सप्तमी यानि कि तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक के दिन उनके जीवन के बारे में चर्चा करेंगे। प्रवेश : भाईश्री ! यह कल्याणक क्या होते हैं ? समकित : जो मांगलिक-प्रसंग' स्वयं के और दूसरों के कल्याण में निमित्त हों, उन्हें कल्याणक कहते हैं। तीर्थंकरों के जीवन में ऐसे पाँच मांगलिक प्रसंग आते हैं जो उनके स्वयं के और दूसरों के कल्याण में निमित्त होते हैं। प्रवेश : वे मांगलिक प्रसंग कौन-कौन से हैं ? समकित : ऐसे पाँच मांगलिक प्रसंग जो भरत क्षेत्र के हर तीर्थंकर के जीवन में होते हैं जिन्हें पंच-कल्याणक कहते हैं, वे हैं: 1.गर्भ (च्यवन) कल्याणक 2.जन्म कल्याणक 3. दीक्षा (तप) कल्याणक 4.ज्ञान कल्याणक 5.मोक्ष (निर्वाण) कल्याणक तीर्थंकर के ये पाँचों कल्याणक, स्वर्ग के इंद्रों द्वारा मनाये जाते हैं। प्रवेश : पार्श्वनाथ भगवान के पाँचों कल्याणक की कहानी सुनाईये न ? समकित : ठीक है ध्यान से सुनो। गर्भ (च्यवन) कल्याणक- पार्श्वकुमार के अपनी माता के गर्भ में आने से पहले ही सौधर्म इन्द्र ने माता की सेवा में देवियों को नियुक्त कर दिया व रत्नों की वर्षा शुरु करवा दी। प्रवेश : आपने तो बताया था कि इंसान ही भगवान बनते हैं, लेकिन साधारण इंसानों के साथ ऐसा कहाँ होता है ? 1.auspicious-ocassions 2.welfare 3.appoint 4.jewels