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________________ 272 समकित-प्रवेश, भाग-8 समकित : अरे भाई ! हर चीज के बिना घड़ा बन सकता है यानि कि हर चीज का दूसरा विकल्प हो सकता है लेकिन मिट्टी के बिना घड़ा नहीं बन सकता इसलिये निश्चय से मिट्टी ही घड़ा बनने की क्रिया का करण कारक है और तो और निश्चय से वही सम्प्रदान, अपादान व अधिकरण कारक भी है। इसप्रकार किसी भी क्रिया के निश्चय कारक अलग-अलग नहीं होते, एक ही होते हैं इसलिये इनको अभिन्न कारक कहते हैं। प्रवेश : चार्ट में निश्चय कारक के भी तो दो भेद किये हैं, द्रव्य के षट्कारक व पर्याय के षट्कारक ? समकित : हाँ, किसी अपेक्षा द्रव्य के षट्कारक अलग व पर्याय के षट्कारक अलग होते हैं। प्रवेश : कैसे? समकित : जब इस बात का निषेध' करना हो कि कुम्हार घड़े का कर्ता है तब द्रव्य के निश्चय कारक का सहारा लेकर कहते हैं कि घड़े का कर्ता कुम्हार नहीं, मिट्टी है। लेकिन जब द्रव्य को अकर्ता बताना हो, पर्याय को गौण करना हो, तब कहते हैं कि वास्तव में (शुद्धनय-से) तो मिट्टी भी घड़े की कर्ता नहीं है। मिट्टी तो मिट्टी की ही कर्ता है क्योंकि घड़ा भी तो आखिरकार मिट्टी ही है। वह कोई पानी थोड़ी हो गया। प्रवेश : तो फिर घड़े का कर्ता कौन है ? समकित : यही बात तो पर्याय के षट्कारक में बताई है कि पर्याय की कर्ता स्वयं पर्याय ही है यानि घड़े का कर्ता स्वयं घड़ा ही है। न कुम्हार (पर-द्रव्य) है, न मिट्टी (स्व-द्रव्य) है। क्योंकि कुम्हार तो परद्रव्य है और एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का कर्ता हो ही नहीं सकता क्योंकि दो द्रव्यों का आपस में अत्यंताभाव है। और मिट्टी 1.prohibition 2.ultimately
SR No.035325
Book TitleSamkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalvardhini Punit Jain
PublisherMangalvardhini Foundation
Publication Year2019
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size117 MB
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