________________ समकित-प्रवेश, भाग-8 261 प्रवेश : पारिणामिक भाव का माप और कथन द्रव्य-कर्म के उदय, उपशम, क्षयोपशम और क्षय में से किससे होता है ? समकित : इनमें से किसी से नहीं क्योंकि पारिणामिक भाव जीव का मूल-स्वभाव' होने से निरपेक्ष है, यानि कि उस पर कोई अपेक्षा लागू नहीं पड़ती। प्रवेश : क्या परिणामिक भाव भी कई प्रकार के हैं ? समकित : पारिणामिक भाव के तीन भेद हैं : 1. जीवत्व 2. भव्यत्व 3. अभव्यत्व इस प्रकार जीव के असाधारण पाँच भावों के कुल मिलाकर 53 (21 +2+18+9+3) भेद हो जाते हैं। प्रवेश : क्या ये पाँचों भाव सभी जीवों में हमेंशा पाये जाते हैं ? समकित : नहीं, एक पारिणामिक भाव ही है जो सभी जीवों (संसारी और सिद्ध) में हमेंशा पाया जाता है क्योंकि यह तो जीव का गुण (स्वभाव) है और स्वभाव के बिना कोई द्रव्य नहीं होता और स्वभाव कहते ही उसे हैं जो शाश्वत और शुद्ध हो। औदयिक भाव सभी संसारी जीवों के पाये जाता है लेकिन सिद्धों के नहीं। क्षायोपशमिक भाव भी न तो सिद्धों के होता है और न ही संसार जीवों में तेरहवें-चौदहवें गुणस्थान वाले अरिहंत भगवान के। क्षायिक भाव सभी सिद्धों के तो होता है लेकिन सभी संसारी जीवों के नहीं। क्योंकि मिथ्यादृष्टि संसारी जीवों के तो क्षायिक भाव होता ही नहीं बाकी सम्यकदृष्टि और सम्यक चारित्रवान संसारी जीवों में भी सिर्फ क्षायिक सम्यकदृष्टि व क्षायिक चारित्रवान (बारहवें गुणस्थान वाले क्षीण कषाय मुनि) एवं अरिहंत भगवान के ही पाया जाता है। 1.actual-nature 2.absolute/irrespective 3.eternal 4.pure