________________ 126 समकित-प्रवेश, भाग-5 और वह कब (किस-समय) घडे रूप परिणमित होगी यह तत्समय की पर्यायगत योग्यता रूप क्षणिक उपादान कारण बतलाता है। प्रवेश : कृपया विस्तार से समझाईये। समकित : त्रिकाली उपादन कारण यह बतलाता है कि किस द्रव्य में यह कार्य होगा। जैसे मिट्टी ही घड़े रूप परिणमित हो सकती है। पानी आदि नहीं। यह कार्य के पाँच-समवाय कारणों में से स्वभाव' का द्योतक है। क्षणिक उपादान कारण बतलाता है कि कौन सी मिट्टी घड़े रूप परिणमित होगी क्योंकि मिट्टी तो पूरी दुनिया में पड़ी हुई है लेकिन हर मिट्टी हर समय घड़े रूप परिणमित नहीं होती। यह होनहार (भवितव्यता) का द्योतक है। 1. अनंतर पूर्व क्षणवी पर्याय का व्यय रूप क्षणिक उपादन कारण यह बतलाता है कि कार्य होने के पहले कौन सा कार्य होगा। यानि घड़ा रूपी कार्य कैसे होगा। जैसे घड़े की पर्याय के पहले मिट्टी के पिंड की पर्याय होगी। जिस समय पिंड की पर्याय का व्यय होगा उसी समय घड़े की पर्याय प्रगट होगी। यह एक प्रकार ये पुरुषार्थ' का द्योतक है। 2. तत्समय की पर्यायगत योग्यता रूप क्षणिक उपादान कारण यह बतलाता है कि जिस समय कार्य होना होगा उसी समय कार्य होगा। जैसे कि घड़े की पर्याय होने के समय ही घड़े की पर्याय (कार्य) होगी। न आगे न पीछे। यह बतलाता है कि कब मिट्टी घड़े की पर्याय रूप परिणमित होगी। इसप्रकार घड़े की पर्याय ही कार्य है व घड़े की उत्पत्ति की पर्यायगत योग्यता ही कारण। यह काल-लब्धि का द्योतक है। इस तरह उपादान कारणो में भी त्रिकाली उपादान कारण कार्य का नियामक (समर्थ) कारण नहीं है। क्षणिक उपादान कारण ही कार्य का नियामक (समर्थ) कारण है। यानि कि यदि कार्य का यह समर्थ' कारण मौजूद हो तो बाकी सभी प्रकार के उपादान कारण और निमित्त कारण मौजूद होते ही हैं और यदि यह नियामक करण मौजूद न हो तो अन्य सामग्रीयाँ मिलने पर भी कार्य नहीं होता। 1.nature 2.destiny 3.mass 4.effort destiny 5.time-quotient 6.regulatory-cause 7.capable 8.stuffs