________________ 124 ] [ तर्कसंग्रहा 0 0 0 0 0 0 0 5.00 0 (2) द्रव्य-विभाजन के अन्य प्रकार :१-[क] एक-आकाश, काल, दिशा और परमात्मा / [ख] अनेक शेष सभी / २-का नित्य (ध्वंसाप्रतियोगित्वम् )-आकाश, काल, दिशा, आत्मा, मन, प्रथिव्यादि के परमाण / [ख] अनित्य-द्वयणकादि। [ग] नित्यानित्य--पृथिव्यादि चार। ३--[क] व्यापक (सर्वमूर्तद्रव्यसंयोगित्वम् )-आकाश, काल, दिशा, आत्मा। [ख] एकदेशवर्ती-मन, परमाणु / [ग] एकादिदेशवर्ती-पृथिव्यादि चार। ४--[क] भूत ( समवायिकारणत्वम् या बहिरिन्द्रियग्राह्यविशेषगुण वत्त्वम् )-पृथिवी से आकाश तक / [ख] अभूत--शेष सभी। ५--[क] मूर्त (क्रियावद्रव्यत्वम् या परिछिन्त्रपरिमाणत्वम्) पृथिव्यादि चार तथा मन / [ख] अमूर्त-शेष सभी। (3) न्याय-वैशेषिकदर्शन के प्रमुख आचार्य न्यायदर्शन के आचार्य वैशेषिकर्शन के आचार्य गौतम (न्यायसूत्र) कणाद (वैशेषिकदर्शन) वात्स्यायन (भाष्य) रावण ( भाष्य) उद्योतकर (भाष्यवार्तिक) प्रशस्तपाद (पदार्थधर्मसंग्रह) वाचस्पतिमिश्र I (तात्पर्यटीका) उदयनाचार्य (किरणावलि) जयन्तभट्ट (न्यायमञ्जरी) श्रीधराचार्य ( कन्दली) भासर्वज्ञ (न्यायसार-स्वोपज्ञटीका) वल्लभाचार्य (न्यायलीलावती) उदयनाचार्य (न्यायकुसुमाञ्जलि) शङ्करमिश्र ( उपस्कार.) गङ्गेश उपाध्याय (तत्त्वचिन्तामणि) विश्वनाथ (कारिकावली) विश्वनाथ (कारिकावली) अन्नम्भट्ट (तर्कसंग्रह) कतिपय महत्त्वपूर्ण प्रकाशन ----ऋग्वेद-प्रातिशाख्य विस्तृत हिन्दी व्याख्या २-ऋग्वेद-प्रातिशाख्य एक परिशीलन 45.00 ३-शुक्ल यजुर्वेद-प्रातिशाख्य विस्तृत हिन्दी व्याख्या ४-कठोपनिषद् प्रथम अध्याय ५-शिशुपालवध प्रथम सर्ग ६-किरातार्जुनीय प्रथम सर्ग ७-अलंकार प्रकाश ८-मनुस्मृति द्वितीय अध्याय 9- शुकनासोपदेश १०-रघुवंशमहाकाव्य ११-अभिज्ञानशाकुन्तल 1650 १२-स्वप्नवासवदत्तम् 1000 १३बृहद्देवता प्रथम अध्याय . 10.00 १४-संस्कृत-प्रवेशिका व्याकरण, अनुवाद एवं निबन्ध 1500 १५-प्राकृत-दीपिका व्याकरण, अनुवाद एवं संकलन १६-उत्तराध्ययन सूत्र एक परिशीलन 0 0 0 0 0 0 0