________________ सिद्ध-सारस्वत प्रशंसनीय और अनुकरणीय व्यक्तित्व मुझे बड़ी ही प्रसन्नता है यह जानकर कि प्रोफेसर सुदर्शन लाल जैन जी, जिन्होंने अनेक वर्षों तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में संस्कृत विषय का अध्यापन किया तथा प्राशसनिक कार्य भी बड़ी कुशलता से किए, उनके सम्मान हेतु जो अभिनन्दन ग्रन्थ वीतराग वाणी ट्रस्ट निकाल रहा है, बड़ा ही स्तुत्य कार्य है। मैं प्रो. जैन की विनम्रता, सरलता, स्पष्टता तथा प्रभावशाली व्यक्तित्व का सदा प्रशंसक रहा हूँ। उनका शैक्षणिक जगत् में योगदान सर्वविदित, प्रशंसनीय और अनुकरणीय है। वे बी. एच. यू. के छात्र भी रहे हैं। अनेक विषयों के तथा भाषाओं के ज्ञाता हैं। राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित हैं। सेवानिवृत्ति के बाद समर्पित भाव से पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी में निदेशक के रूप में अनेक प्रशंसनीय कार्य किये हैं। विभिन्न अवसरों पर उच्चस्तरीय सङ्गोष्ठियों में मुझे जाने का अवसर मिला और उनकी विद्वत्ता की छाप ऐसी सङ्गोष्ठियों में देखने को मिली। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे आगामी वर्षों में भी विद्वज्जगत् में अपना अद्वितीय योगदान करते रहें। हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं। प्रोफेसर वेणीमाधव प्रसाद शुक्ल पूर्वकुलपति, गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर