SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिद्ध-सारस्वत मङ्गल-भावना मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता है कि संस्कृत, प्राकृत आदि भाषाओं एवं जैनदर्शन के वरिष्ठ मनीषी आदरणीय गुरुवर प्रो. सुदर्शन लाल जैन जी का अभिनन्दन-ग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा है। आपके काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के संस्कृत विभाग में अध्यापन के समय मुझे भी आपसे पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपकी सादगी, विनम्रता तथा विद्वत्ता विद्यार्थियों के लिए अनुकरणीय रही है। वहाँ संस्कृत विभाग के अध्यक्ष तथा कला सङ्काय के प्रमुख के रूप में भी आपने सफल दायित्व का निर्वाह किया। प्राकृतभाषा में विशिष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित आपने संस्कृत तथा जैनदर्शन के क्षेत्र में भी कई नवीन कृतियों का सर्जन एवं सम्पादन किया है, जिसके लिए जैनविद्या की सम्पूर्ण परम्परा कृतज्ञ है। आप दीर्घायु हों तथा इसी प्रकार श्रुत की आराधना एवं सेवा करते रहें- यही मङ्गल भावना है। आदर एवम् अशेष शुभकामनाओं सहित / / प्रो. रमेश कुमार पाण्डेय कुलपति, श्रीलालबहादुरशास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली
SR No.035323
Book TitleSiddha Saraswat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherAbhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year2019
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy