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________________ सिद्ध-सारस्वत मङ्गल कामना प्रो. सुदर्शन लाल जैन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं और उन्होंने कला सङ्काय के अन्तर्गत आने वाले संस्कृत विभाग में 38 वर्षों तक अध्यापन कार्य किया है। संस्कृत विभाग के अध्यक्ष और कालसङ्काय प्रमुख (डीन) के रूप में कुशल प्रशासन का परिचय दिया। शैक्षणिक गतिविधियों में कई नए आयाम स्थापित किए। कलासङ्काय के सङ्कायप्रमुख के रूप में कार्यरत रहते हुए आपने उर्दू, मराठी, म्यूजियोलाजी, भारत कला भवन, जर्मन आदि विभागों के अध्यक्ष के रूप में भी समय समय पर दायित्व का निर्वाह किया। भारत शासन द्वारा समस्त विश्वविद्यालयों में नयी परीक्षा पद्धति लागू किये जाने का निर्णय लिए जाने पर विश्वविद्यालय के कलासङ्काय में स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम लागू करने में आपकी महनीय भूमिका रही है। स्वभावत: सरल प्रकृति के साथ अनुशासनप्रिय प्रो. जैन के सङ्काय के प्राध्यापकों तथा छात्रों के साथ मधुर सम्बन्ध रहे। मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई की जैन शास्त्र व वाङ्मय के क्षेत्र में किए गए अभूतपूर्व कार्यों के लिए भारत शासन ने आपको देश के सर्वोच्च सम्मान राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया है। __ आपके अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन का समाचार सुनकर प्रसन्नता हुई। यह हमारे लिये हर्ष का विषय है कि विश्वविद्यालय तथा महामना मालवीय के प्रति आपका जो आदरभाव रहा है और जिस समर्पण के साथ आपने संस्था और जैनविद्या को अपनी सेवाएं प्रदान की हैं वे आपके सेवानिवृत्त होने के उपरान्त भी निरन्तर बनी हुई हैं। विश्वविद्यालय परिवार की तरफ से मैं आपके भविष्य की तथा उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूँ। प्रो. राकेश भटनागर कुलपति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
SR No.035323
Book TitleSiddha Saraswat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherAbhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year2019
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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