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________________ संस्कृत-प्रवेशिका [पाठ : 17-18 15. शिष्य गुरु का अनुकरण करता है - गुरोः (गुरुम्) अनुकरोति शिष्यः / 16. उसे इस नगर से गये हुए आज तीसरा महीना है = अस्मात् नगराद् गतस्य तस्य इदानीं तृतीयो मासः / 17. संदीप के पाण्डित्य से तुम अनभिज्ञ हो-संदीपस्य पाण्डित्यस्य (पाण्डित्ये)अन भिज्ञोऽसि त्वम् / 18. जगत् का कर्ता ब्रह्मा है = अस्ति जगतः कर्ता ब्रह्मा / 16. यह कृष्ण की कृति है - कृष्णस्य कृतिरियम् / 20. मेरा सोना और राम का जाना आकस्मिक है = मम शयनं रामस्य च गमनमाकस्मिकम् / सम्बन्ध, अधिकरण] 2: अनुवाद [183 के लिए कौन सा विदेश है और प्रियवादियों के लिए कौन पराया है ? जिसके पास स्वयं बुद्धि नहीं है उसे कैसे ज्ञान दें? मित्र मनीष ! यह तुम्हारे योग्य नहीं है / मोर का नृत्य किसे प्रिय नहीं है ? गुरुजनों के सामने छात्रों को मिथ्या नहीं बोलना चाहिए / गुरु और शिष्य में उतना ही अन्तर है जितना भगवान् और भक्त में / नदी के पुल के ऊपर और नीचे जल ही जल है। नियम ५२-निम्न स्थलों में षष्ठी विभक्ति होती है (देखिए, पृ०७६-८१)(क) जिससे सम्बन्ध बतलाया जाए। (ख) हेतु, कारण आदि शब्दों के प्रयोग होने पर हेतु और हेत्वर्थ में / (ग) जिनसे बहुतों में से छांटा जाए / (घ) जिन दो चीजों में मेव (विशेष, अन्तर आदि शब्दों के द्वारा) सूचित किया जाए। (ङ) 'तव्यत्' आदि 'कृत्य' प्रत्ययों के प्रयोग होने पर कर्ता में। (च) आयुष्य, मद्र (हर्ष), भद्र, कुशल आदि शब्दों से जिसे आशीर्वाद दिया जाए। (छ) दक्षिणतः, उत्तरतः, उपरि, अधः, पुरस, पश्चात्, अने, पुरस्तात आदि शब्दों का प्रयोग होने पर उनका जिससे सम्बन्ध हो / (ज) दूर और समीप अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग होने पर उनका जिससे सम्बन्ध हो। (झ) दुःख-पूर्वक स्मरण करने के अर्थ में तदर्थक धातुओं से, जिसे स्मृत किया जाए / (अ) दो बार (द्विः), तीन बार (त्रि.), सौ बार ( शतकत्वः) आदि जिससे संबन्धित हों। (ट) कृते (के लिए) और समक्ष (सामने) अव्ययों का जिससे सम्बन्ध हो / (4) तुल्य, सदृश, सम, संकाश (सदृश), तुला, उपमा आदि समानता सूचक शब्दों का प्रयोग होने पर उपमान में 1 (3) जिसका अनुकरण (अनु+कृ), किया जाए / (क) किसी घटना के समय से लेकर अवधि बतलाने पर घटना के पात्र तथा घटना-सूचक कृदन्त में / (ण) अभिश (शाता), अनभिज्ञ आदि विशेषणों के कर्म में। (त) 'कृत्' प्रत्ययान्त शब्दों का प्रयोग होने पर कर्म में और कर्म के न होने पर कर्ता में / अभ्यास-१७. बनारस के पास सारनाथ है / गीता का पुत्र राजा का स्मरण (दुःखपूर्वक) करता है। पिता के बार-बार मना करने पर भी उसके पुत्र ने अध्ययन छोड़ दिया / क्या तुम दिन में सो बार गाली देते हो? तुम्हारे सामने ही उसने बी. ए. की परीक्षा पास कर ली है। वह सभी शास्त्रों में पण्डित है परन्तु व्यवहार से अनभिज्ञ है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सभी विश्वविद्यालयों में श्रेष्ठ है। विद्वानों पाठ 18 : अधिकरण कारक सदाहरण-वाक्य [ सप्तमी विभक्ति का प्रयोग ] 1. देवदत्त मञ्च पर खेलता है = मञ्चे क्रीडति देवदत्तः। 2. मोहन वृद्धावस्था में भी प्रातः पढ़ता है - वृद्धावस्थायामपि प्रातःकाले (प्रातः) पठति मोहनः / 3. छात्रों में रमेश पटुतम है - छात्रेषु (छात्राणां) रमेशः पटुतमः / 4. उसका मुझ पर स्नेह है = तस्य मयि स्नेहः / 5. पुत्रवत्सल तुम्हारे में ऐसी कठोरता उचित नहीं है-पुत्रवत्सले स्वयि (पुत्रवत्सलस्य तव ) ईदृशी कठोरता न उपयुज्यते / 6. वह देश-सेवा और अध्ययन में लगा है%Dदेशसेवायामध्ययने च व्यापूतः सः। 7. तुम्हारे द्वारा ऐसा करने पर और मेरे रक्षक होते हुए धर्म कार्य मैं विन कहाँ = त्वया तथाऽनुष्ठिते मयि च रक्षितरि धर्मकायें विघ्नः कुतः ? 8. सूर्य के अस्त होने पर वे घर आये = सूर्येऽस्तङ्गते सति गृहं समायातास्ते / 6. पुत्रों के रोते रहने पर भी वह सन्यासी हो गया = पुत्रेषु दत्सु (पुत्राणां ___ रुदतां ) सः संन्यस्तवान् / 10. राम के बन चले जाने पर भरत आये = रामे वनं गते आगतवान् भरत: (कर्तृ.)। रामेण वने गते आगतो भरतः (कर्म)। 11. गायों के (भविष्य में) दुहे जाते समय वह जायेगी = गोषु धोक्ष्यमाणासु सा गमिष्यति / 12. गायों के ( अतीत काल में ) दुहे जाते समय वह गया या = गोषु दुग्धासु सः गतः। 13. ज्यों ही आप आए त्यों ही घड़ा गिरा = प्रविष्टमात्रे एव भवति घटोऽपतत् / 14. वह चमड़े के लिए हाथी को मारता है-पर्मणि दीपिनं हन्ति सः। 15. उसने अपने शव पर बाण फेंके - तेन स्वशत्री शराः क्षिप्ताः।
SR No.035322
Book TitleSanskrit Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherTara Book Agency
Publication Year2003
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size98 MB
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