________________ 190] संस्कृत-प्रवेशिका [पाठ : 25-26 5. यदि तुम वहाँ रहते हो तो वहाँ के विश्वविद्यालय की स्थिति का वर्णन करो = यदि त्वं तत्राधिवससि तहि तत्रत्यस्य विश्वविद्यालयस्य स्थिति वर्णयस्व / 6. यदि ऐसी बात है तो तुम जागो = एतादृशी वार्ता चेत्तहि गच्छ / 7. यदि तुम यहां आते तो मैं तुम्हारे साथ चलता - यदि त्वम् अत्र आगच्छः तहि अहं त्वया सह व्रजेयम् / 8. यदि राम परिश्रम करता तो परीक्षा में पास होता = यदि रामः परिश्रम __ मकरोत् तहि परीक्षायां सफलतामलभत (लभेत)। नियम ६२-हेतुहेतुमद्भाव वाले वाक्यों में निम्न नियम याद रखें-(क) पूर्वाद्ध में 'यदि' अथवा 'चेत्' का और उत्तरार्ध में तहि शब्द का प्रयोग / (ख) दोनों वाक्यों से भविष्यत्काल का अथवा पूवार्द्ध से वर्तमान काल का और उत्तरार्ध से भविष्यत् काल का बोध हो तो पूर्वार्ध में वर्तमान काल की किया का और उत्तरार्ध में भविष्यत् काल की क्रिया का प्रयोग | कभी-कभी दोनों में भविष्यत् काल की क्रिया भी होती है।' (ग) यदि दोनों वाक्यों से वर्तमान काल का बोध हो तो दोनों में वर्तमान काल की क्रिया का प्रयोग / (घ) यदि पूर्वाद से वर्तमान काल का और उत्तराधं से अथवा दोनों वाक्यों से 'आज्ञा' आदि का बोध हो तो पूर्वार्ट में वर्तमानकाल की क्रिया का और उत्तरार्ध में लोट या विधिलिङका प्रयोग / (ङ) यदि दोनों वाक्यों में भूतकाल का बोध हो तो दोनों में भूतकाल की क्रिया का प्रयोग। अभ्यास २४-यदि तुम प्रातः पुस्तक पढ़ोगे तो परीक्षा में अवश्य पास होगे। यदि वह आता है तो मैं जाऊँगा। यदि सूर्योदय होने पर तुम भगवान् का स्मरण करोगे तो जीवन में सुखी रहोगे / यदि ऐसी बात है तो तुम अपना काम करो / यदि प्रयाम अध्ययन करता तो परीक्षा में प्रथम श्रेणी से पास होता। मनोज यदि वहाँ जाये तो मेरा भी सामान लेता जाये। यदि तुम प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ोगे तो संसार की खबरें जान लोगे / यदि तुम आओगे तो मुझे अवश्य यहाँ देखोगे / मैं गर्मी। की छुट्टियों में यदि पहाड़ की यात्रा पर जाता तो स्वास्थ्य लाभ करता। पाठ 25 : 'करने वाला' अर्थवाचक शब्द उदाहरण-वाक्य ['ण्वुल' और 'तृच' प्रत्ययों का प्रयोग] 1. इस गांव में एक उपासक रहता है = ग्रामेऽस्मिन्नेकः उपासको निवसति / 1. वस्तुतः ऐसे वाक्यों मैं 'लुङ् लकार के प्रयोग का विधान है / जैसे-सुवृष्टिपचेदभविष्यत् सुभिक्षमभविष्यत् / यदि सः आगमिष्यहि तेन सह अगमिष्यम् / 'करने वाला'; भाववाचक] 2: अनुवाद 2. लेखक और लेखिका सेवक के साथ जाते हैं - लेखकः लेखिका च (लेखको) सेबकेन सह गच्छतः। 3. शत्रु प्राणों के घातक हैं = शत्रवः प्राणानां घातकास्सन्ति / 4. जगत् का कर्ता, धर्ता और संहर्ता ईश्वर है = जगतः कर्ता, घर्ता, संहर्ता च ईश्वरोऽस्ति / 5. क्या दाता ज्ञाता को धन देता है = दाता ज्ञात्र धनं ददाति किम् ? 6. धन का हर्ता जाता है - गच्छति धनस्य हर्ता / नियम ६३–'करने वाला' अथवा 'वाला' अर्थ में 'वुल' (अक) अथवा 'तृच' (तृ) प्रत्ययों का प्रयोग होता है / ( कभी-कभी 'वुल्' का प्रयोग 'तुमुन् की तरह क्रिया के रूप में भी होता है। जैसे-रामं दर्शको द्रष्टुं वा याति)। इनके लिङ्ग, विभक्ति और वचन विशेष्य के अनुसार होते हैं तथा इनके कर्म में षष्ठी होती है। अभ्यास २५-पाठिकायें स्कूल में छात्राओं को व्याकरण पढ़ा रही है / रसोईया खाना पका रहा है और भोजन करने वाले भोजन कर रहे हैं / इस मुहल्ले में पुस्तकों के विक्रेता अधिक हैं परन्तु खरीदने वाले कम / वे सभी गायक के साथ गाना गायेंगे। आजकल देश के नियामक पथभ्रष्ट हो रहे हैं। इस विश्वविद्यालय के छात्र खूब अध्ययन करने वाले हैं। धन का हरण करने वाला चोर भाग गया / वेद पापों को नाश करने वाला है। क्या इस नगर में कोई अच्छा गवैया नहीं है? पाठ 26 : भाव-वाचक संज्ञायें "mamani सदाहरण-वाक्य ('ल्युट्', 'घ' और 'क्तिन्' प्रत्ययों का प्रयोग) 1. तुम्हारा कहना सत्य है = तव कथनं सत्यमस्ति / 2. उस सभा में भाषण दो- तस्या सभायां भाषणं कुरु / 3. मेरा उस समय जाना और उसका उस समय रोना आवश्यक था तदा मम गमनं तस्य तदा रोदनं चावश्यकमासीन् / 4. क्या अधिक पढ़ना और अधिक खेलना ठीक नहीं है % अधिकं पठनम् अति क्रीडनञ्च वरं नास्ति किम् ? 5. सदाचार ही परम धर्म है = सदाचार एव परमो धर्मः। 6. त्याग की महिमा अचिन्त्य है - त्यागस्य महिमा मचिन्त्यः / 7. सर्वत्र सोत्साह प्रवृत्त होना चाहिये = सर्वत्र सोत्साहेम प्रमतितमा / 8. इस राजा की कीति दिगन्तव्यापिनी है - अस्य जो विगतमामिला /