________________ सर्वनाम और विशेषण ] 2: अनुवाद [193 192] संस्कृत-प्रवेशिका [पाठ : 27 6. मेरी धर्म में बुद्धि और कर्म में प्रवृत्ति है = अस्ति बुद्धिः धर्म प्रवृत्तिश्च / कर्मणि मम। नियम ६४-भाव-वाचक संज्ञायें बनाने के लिए 'ल्युट्' (अन), 'घ' (अ) और 'क्तिम्' (ति) प्रत्यय धातु में जुड़ते हैं / 'ल्युट्' प्रत्ययान्त शब्द नपुं०, 'घन' प्रत्ययान्त शब्द पुं० और 'क्तिन' प्रत्ययान्त शब्द स्त्री० में हमेषा होते हैं / इन शब्दों के साथ कर्म में षष्ठी होती है। अभ्यास २६-संसार से मुक्ति मिलना कठिन है। क्या आज आपका भाषण होगा? सुरेश की कीति और रीता की धर्म में बुद्धि एक साथ हुई / यहाँ सबका प्रवेश संभव नहीं है / सुख और दुःख में समभाव रखना चाहिए / भगवान् का भजन करो और बच्चों का भरण पोषण | बुद्धि से धन और धन से सुख प्राप्त होता है। सभी जीवों का मरण अवश्यंभावी है। आज सभा में कौन सा प्रस्ताव रखा जायेगा? इस विषय में पुनःविचार अपेक्षित है। मनीषा दूध का पान करती है और उसकी बुद्धि निर्मल है। पाठ 27 : सर्वनाम और विशेषण उदाहरण वाक्य [ एक, द्वि, और बहुवचन का विशेष प्रयोग ] 1. वह प्रभु तुम दोनों की रक्षा करे = सः प्रभुः वाम् (युवाम्) पातु / 2. तुम यह पुस्तक लो और राम यह साड़ी ले - गृहाण त्वमेतद् पुस्तकं / गृह्णातु रामश्वेमा शाटिकाम् / 3. जब तक सोता वह तैल-चित्र लाती है तब तक तुम वह मकान देखो। = तावत्वम् अदः गृहं पश्य यावत् सीता ततैलचित्रमामयति / / 4. इस कक्षा में कितने छात्र हैं = कति छात्रास्सन्ति कक्षायामस्याम् ? 5. सुनीता कहती है कि जो जाता है वह पुनः लौटकर नहीं आता है = सुनीता कथयति यद यो गच्छति न पुनरागच्छति सः। 6. क्या यह छात्रयुगल पुस्तक पढ़ता है = किमिदं छात्रयुगलं पुस्तकं पठति ? 7. पति-पत्नी अथवा माता-पिता जाते हैं = दम्पती पितरौ वा गच्छतः / 8. दोनों बालक खेलते हैं = उभौ बालको क्रीडतः। 6. हम सब दो नेत्रों से देखते हैं = वयं नेत्रद्वयेन ( नेत्राभ्याम् ) पश्यामः / 10. पूज्य गुरुदेव जाते हैं % गच्छन्ति पूज्याः गुरवः / 11. मैं मगध देश गया, अङ्ग देश नहीं = अहं मगधानगच्छम्, नाङ्गदेशम् / 12. ब्राह्मण पूज्य हैं, शूद्र नहीं प्राह्मणाः पूज्याः, न शूद्राः। 13. उस दारा (स्त्री) को यह अक्षत दो = तेभ्यो दारोभ्यः इमानक्षतान् देहि।।। 14. यहाँ चार कन्यायें और बीस बालक हैं %D सन्ति चतस्रः कन्याः, विंशतिः बालकाश्चात्र। 15. घड़ा द्रव्य है और शब्द प्रमाण - घटो द्रव्यम्, शब्दश्च प्रमाणम् / 16. कोई भी पुरुष अथवा कोई भी स्त्री कुछ भी पढ़े : कश्चित् (कश्चन, फोऽपि बा) पुरुषः काचित् (काधन, कापि वा) स्त्री वा किश्चिदपि (किचन किमपि वा) पठतु / नियम-६५. अस्मद् और युष्मद् शब्दों के वैकल्पिक रूपों (मा, नौ, नः, मे तथा ला, नाम, वः, ते) का प्रयोग वाक्य के आरम्भ में, छन्द के चरण के प्रारम्भ में; च, वा, ह, अह, एव आदि अग्ययों के साथ में तथा सम्बोधन के तुरन्त बाद में नहीं होता है। 66. इदम् और एतद् से 'यह' का अर्थ-बोध होता है परन्तु 'एतद' शब्द का प्रयोग अत्यन्त निकटवर्ती के लिए होता है। 67. तद् और अदस् से 'वह' का अर्थ-बोध होता है परन्तु 'तद्' शब्द का प्रयोग अत्यन्त दूरवर्ती (परोक्ष) के लिए होता है। 68. 'यत्' शब्द का प्रयोग जब 'कि' के अर्थ में किया जाता है तो वह नपुं० एकवचन में ही होता है। 69. जब 'यत्' और 'तत्' शब्द का सापेक्ष सर्वनाम के रूप में प्रयोग होता है तो 'यत्' और 'तत्' के लिङ्ग, विभक्ति और वचन एक जैसे होते हैं। 70. नेत्र, पैर, हाथ आदि जोड़े वाले शब्दों का प्रयोग सामान्य रूप से द्विवचन में होता है। 71. आदर अर्थ में 'एक' व्यक्ति के लिए भी बहुवचन का प्रयोग होता है। 72. राज्य, देश, जनपद मादि के वाचक शब्दों में बहुवचन का प्रयोग होता है। यदि 'मगर' या 'देश' शब्द अन्त में हो तो एकवचन / 73. जाति-वोधक शब्दों से यदि जाति का ही अर्थ बतलाना अभीष्ट हो तो बहुवचन अथवा एकवचन दोनों का प्रयोग होगा। 74. युगल आदि के साथ एकवचम होता है। अभ्यास २७-यह लेखनी किसकी है? वह कन्या और वह बालक कहाँ गये? इस स्कूल में अध्यापकों की और छात्रों की संख्या कितनी है? या युगल खेलते हैं ? कौन भाता-पिता अपने बच्चों से प्रेम नहीं करते है? महली किसकी पत्नी है? इस नगर में बीस विद्यालय तथा पाच महाविधानमा