________________ अपनी आँख में देखने की शक्ति मर्यादित है / 1) अति निकट रही वस्तु को भी आँख नहीं देख पाती है / काजल आंख में ही लगा है परंतु आँख नहीं देख पाती है / 2) अति दूर रही वस्तु भी दिखाई नहीं देती है | 1-2 कि.मी. दूर खडा व्यक्ति हमें कहाँ दिखता है ? 3) बहुत छोटी वस्तु भी दिखाई नहीं देती है। ___4) मन कहीं अन्यत्र भटक रहा हो तो भी ख्याल नहीं रहता है / मंदिर में दर्शन करके आए व्यक्ति को पूछा कि 'प्रभुजी को मुकुट था या नहीं ? वह जवाब देता है...यह तो मुझे पता नहीं / इसका अर्थ है प्रभु के दर्शन किए परंतु मन वहाँ नहीं था / ___5) थोड़ी सी दूरी पर रहे कान भी हमें दिखाई नहीं देते हैं / आँख और कान के बीच थोड़ा सा अंतर है, फिर भी आँख को कान दिखते नहीं हैं / 6) आँख कमजोर हो तो भी नहीं दिखता है / कई लोग चश्मा लगाए बिना कुछ भी नहीं पढ़ पाते हैं | 7) ढकी हुई वस्तु (जैसे टोकरी में रहे आम) भी दिखाई नहीं देती है। 8) सूर्य के तेज में आकाश में रहे तारे दिखाई नहीं देते हैं / 9) मूंग के ढेर में गेहूँ के 2-4 दाने हों तो दिखाई नहीं देते हैं | 10) प्रक्रिया किए बिना दिखाई नहीं देता है जैसे दूध में रहा घी / 11) दूध में पानी मिला हुआ हो तो भी पानी अलग से दिखाई नहीं देता है। इसी प्रकार कर्म का अस्तित्व होने पर भी वे कर्म परमाणु आँख से दिखाई नहीं देते हैं। कई बार कार्य को देखकर भी उसके कारण का अनुमान किया जाता जैसे नदी में आई बाढ़ को देखकर अनुमान करते हैं कि आगे ज्यादा वर्षा हुई है। (कर्मग्रंथ (भाग-1) 35