________________ निकल जाता है / वैज्ञानिकों ने एक कमरे में बहुत बारीक तार को टेढ़ा मेढ़ा जाल बनाकर उस कमरे में चमगादड़ों को उड़ाया | चमगादड़ तारों को बिना छुए और एक दूसरे से बिना टकराये उस कमरे में उड़ते रहे / कहा जाता है कि चमगादड़ों की इसी शक्ति के आधार पर वैज्ञानिकों ने "राडार'' का आविष्कार किया है। जो व्यक्ति केवल अपनी इन्द्रियों के द्वारा ग्रहण किये हुए ज्ञान को ही सत्य मानते हैं, क्या वे ऊपर दिये हुए तथ्यों को झुठला सकेंगे? मनुष्यों की इन्द्रियों की शक्ति कितनी सीमित होती है इस सम्बन्ध में हम कुछ और उदाहरण देते हैं 1) नंगी आँखों से एक व्यक्ति लगभग तीन हजार तारे देख सकता है / परन्तु यदि हम दूरवीक्षण यन्त्र (Telescope) से देखें तो हमें आकाश में लाखों तारे दृष्टिगोचर होंगे / और अब तो अन्तरिक्ष-वैज्ञानिकों का यह विश्वास है कि इस विराट् विश्व में खरबों तारे हैं जो हमसे लाखों प्रकाश वर्ष दूर तक फैले हुए हैं। (प्रकाश एक सैकण्ड में लगभग 1,86,000 मील तक जा सकता है | इस प्रकार प्रकाश एक घन्टे में 1,86,000 x 60 x 60 मील दूर जा सकता है / एक वर्ष में प्रकाश जितनी दूर जाता है, उसे एक प्रकाश वर्ष कहते हैं / ) 2) वैज्ञानिक कहते हैं कि एक साधारण व्यक्ति की देखने व सुनने की शक्ति बहुत ही सीमित होती है, हमारे कान 16 से 32000 कम्पन युक्त (Frequency) तरंगें ही ग्रहण कर सकते हैं / इससे अधिक या कम कम्पन की तरंगें हम सुन नहीं सकते / हमारी पृथ्वी के चारों ओर हजारों रेडियो-स्टेशनों से प्रसारित होने वाली तरंगें फैली रहती हैं / परन्तु हम उनको ग्रहण नहीं कर पाते / हमारे रेडियो अपने विशेष यन्त्रों के द्वारा उन तरंगों को ग्रहण कर ऐसी तरंगों में बदल देते हैं जिनको हम ग्रहण कर सकते हैं / इसी प्रकार हमारी आँखों की देखने की शक्ति भी बहुत सीमित है / नंगी आँखों से हम जितना देख पाते हैं, दूरवीक्षण व सूक्ष्म-वीक्षण यन्त्रों की सहायता से हम उससे हजारों गुणा देख लेते हैं | चारों ओर टेलीविजन स्टेशनों द्वारा प्रसारित तरंगें फैली हुई हैं परन्तु हम उन्हें देख नहीं पाते / कर्मग्रंथ (भाग-1) 123