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________________ पतली बनानी है ? आप अपने खजाने में से एक नमूना भिजवा दो / ' नमूना आया नहीं, अतः रस्सी भी बनानी न पड़ी / 5) राजा की पाँचवीं आज्ञा थी- 'इस बीमार हाथी को ले जाओ, इसे खिलाओ पिलाओ , किंतु इसकी मृत्यु के समाचार मत देना / वह हाथी गाँव में आया, किंतु कुछ ही दिनों बाद मर गया / रोहक की बुद्धि से गाँववालों ने राजा को समाचार भिजवाए, 'आपका हाथी खाता नहीं है, पीता नहीं है, चलता नहीं है / खेलता नहीं है, अब क्या करना ?' राजा ने पूछा, 'तो क्या वह मर गया हैं ?' 'यह तो हमें पता नहीं है।' 6) राजा की छठी आज्ञा थी- 'तुम्हारे गांव में मीठे जल का कुआ है, वह कुआ यहाँ भिजवा दो / ' रोहक की बुद्धि से गाँववालों ने कहा, 'ग्रामवासी लोग शहरवालों के पास शर्मिंदा होते हैं अतः हमारा कुआ अकेला नहीं आ सकता, आप उसे लेने के लिए शहर का कुआ भिजवा दें, वह जरूर आ जाएगा / ' रोहक के इस बुद्धि चातुर्य को देख राजा अत्यंत ही प्रसन्न हुआ / खुश होकर राजा ने उसे अपने मंत्री पद पर नियुक्त कर दिया / ފާޙަޤީސަޝިހާސް का शराब के नशे में चकचूर बने व्यक्ति को सामने खड़ा व्यक्ति भाई हो तो भी उसका ख्याल नहीं रहता है, उसी प्रकार मोह के नशे में चकचूर बने व्यक्ति है को भगवान सामने खड़े हों तो भी पता नहीं / चलता है / कि ये भगवान है / KACA.COPYRahe नशा कर्मग्रंथ (भाग-1) 104
SR No.035320
Book TitleKarmgranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2019
Total Pages224
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size39 MB
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