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२४२ वर्ष व्यतीत होने पर इत्यादि जो कथन भगवती मल्लि के सम्बन्ध में कहा है वैसा ही सब समझना चाहिए । मल:
संतिस्स णं अरहओ जाव प्पहीणस्स एगे चउभागूणे पलितोवमे विइक्क ते पन्नहिं च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥१७५॥
____ अर्थ-अर्हत् शान्ति को यावत् सर्व दुःखोंसे पूर्णतया मुक्त हुए चार भाग कम एक पल्योपम अर्थात् अर्धपल्योपम जितना समय व्यतीत हो गया, उसके पश्चात् पैंसठ लाख वर्ष व्यतीत हुए, इत्यादि सभी वृत जैसा भगवती मल्लि के सम्बन्ध में कहा है वैसा ही समझना चाहिए ।३६ मूल :
धम्मस्स णं अरहओ जाव प्पहीणस्स तिन्नि सागरोवमाई विइकताई पन्नहिं च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥१७६॥
___अर्थ-अर्हत् धर्म को यावत् सर्व दु.खों से पूर्णतया मुक्त हुए तीन सागरोपम जितना समय व्यतीत हुआ, उसके पश्चात् पैसठ लाख वर्ष व्यतीत होने पर इत्यादि सभी जैसे भगवती मल्लि के सम्बन्ध में जैसा कहा है, वैसा ही यहाँ भी समझना चाहिए। मूल :
अणंतस्स णं जाव प्पहीणस्स सत्त सागरोवमाई विइकताइं पन्नहिं च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥१७७॥
___अर्थ-अर्हत् अनन्त को यावत् सर्व दु:खोंसे पूर्णतया मुक्त हुए सातसागरोपम जितना समय व्यतीत हो गया, उसके पश्चात् पैंसठ लाख वर्ष व्यतीत होने पर इत्यादि सभी जैसे भगवती मल्लि के सम्बन्ध में कहा है, वैसे ही जानना चाहिए ।