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सुप्रसिद्ध बौद्ध धर्मानुय यी और विद्वान धर्मानन्द कौशाम्बी कहते हैं कि तथागत बुद्ध ने अपने पूर्व जीवन मे पाश्र्वनाथ परम्परा का अनुसरण किया था। २
आठवीं सदी के दिगम्बराचार्य देवसेन के अभिमतानुसार महात्मा बुद्ध प्रारंभ में जैन थे। जैनाचार्य पिहितासब ने सरयूनदी पर अवस्थित पलाश नामक प्राम मे पाव के संघ में उन्हें दीक्षा दी थी और उनका नाम 'बुद्धकीति' रखा।४३
श्रीमती राइस डेविड्स के मन्तव्यानुसार बुद्ध सर्वप्रथम गुरु को अन्वेषणा मे वैशाली पहुंचे। वहां पर आचार और उदक से उनका सम्पर्क हुआ। उसके पश्चात उन्होंने जैन धर्म की तपविधि का अभ्यास किया।
डाक्टर राधाकुमुद मुकर्जी का मानना है कि बुद्ध ने उस युग में प्रचलित दोनों साधनाओं का आत्मानुभव के लिए अभ्यास किया। आचार और उदक के निर्देश से ब्राह्मण मार्ग का फिर जैन मार्ग का और उसके पश्चात अपने स्वतन्त्र साधना मार्ग का ।४४
महात्मा बुद्ध ने जैन धर्म मे दीक्षा ग्रहण की या नहीं, इस प्रश्न को हम महत्त्व न भी दें तथापि यह स्पष्ट है कि उनके अहिंमा धर्म के उपदेश का मूल आधार भ० पार्श्वनाथ की परम्परा है, क्योंकि जिन शब्दो का प्रयोग किया है वे भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा के अधिक सन्निकट है। महात्मा बुद्ध का मुख्य शिप्य मोद्गल्यायन भी पूर्व भगवान पार्श्वनाथ की शिष्य परम्परा में था।४५ कपिलवस्तु मे भी भगवान् पाश्र्व का धर्म फैला हुआ था। अंगुत्तर निकाय की अट्ठकथा के अनुसार गौतम बुद्ध के चाचा ‘वप्प' निर्गन्थ श्रावक थे।४६ न्यग्रोधाराम मे उनके साथ बुद्ध का संवाद हुआ था।४७
भगवान महावीर के शासन काल मे अनेक पापित्यीय श्रावक व श्राविका थे जिनका उल्लेख आगमो मे एवं व्याख्या ग्रन्थो मे मिलता है।४८ विस्तारभय से यहाँ उन सभी का उल्लेख नहीं किया जा
४२ भारतीय संस्कृति और अहिंसा, तथा 'पार्श्वनाथ चा चातुर्याम धर्म, पुस्तके ४३ सिरिपासणाहतित्थे, सरयूतीरे पलासणयरत्थो।
पिहियासवस्स मिस्सो, महासुदो बुड्ढकिन्ति मुणी। -दर्शनसार ६ ४४. हिन्दु सभ्यता, पृ० २३६ ४५ धर्म परीक्षा, अध्याय १८ ४६. अंगुत्तर निकाय की अट्ठकथा, भाग २ पृ० ५५६ ४७. एक समयं भगवा सक्कसुविहरति कपिलवत्थुस्मि अथ वो वप्पो सक्को निगण्ठ सावगो इ०॥
--अगुत्तर निकाय, चतुष्कनिपात महावर्ग,
वप्पसुत्त भाग० पृ. २१०-२१३ ४८, (क) भगवत्ती १ 16
(ख) भगवती ५/६ (ग) उत्तराध्यन २३ | २४ (ध। सूत्रकृताङ्ग २७
(च) आवश्यक नियुक्ति, वृत्ति पत्र २७८ ४६. विस्तार के लिए देखिए-भगवान् पाश्वः एक अध्ययन, लेखक का अन्य।