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________________ परिनिर्वाण १२८ अनन्त अव्याबाध अक्षय सुखमय मोक्षगति प्राप्त की। इस ४२ वर्ष की अवधि में भगवान ने जहां जहां पर अपने जितने-जितने चातुर्मास व्यतीत किये उनकी, सूची इस प्रकार है : १ अस्थिकग्राम (प्रथम) १ २ चम्पानगरी ३ ३ वैशाली-वाणियाग्राम १२ ४ राजगृह-नालंदापाडा १४ ५ मिथिला नगरी ६ ६ भद्दिया नगरी २ ७ आलंभिका १ ८ श्रावस्ती नगरी १ ६ वज्रभूमि (अनार्य) १ १० पावापुरी (अन्तिम) १ इनमे बारह चातुर्मास छद्मस्थ काल में व्यतीत किये, एवं ३. चातुर्मास तीर्थकर काल मे । तीर्थंकर काल का प्रथम चातुर्मास राजगृह मे व्यतीत किया जहां पर मेघकुमार को दीक्षा हुई। ----. परिनिर्वाण मल : तत्थ णं जे से पावाए मज्झिमाए हथिवालस्स रत्नो रज्जुगसभाए अपच्छिमं अंतरावासं वासावासं उवागए. तस्स णं अंतरावासस्स जे से वासाणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे कत्तियबहुले तस्स णं कत्तियबहुलस्स पन्नरसीपक्खेणं जा सा चरिमा रयणिं तं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए विइक्कते समुज्जाए छिन्नजाइजरामरणवंधणे सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिनिव्वुडे सव्व
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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