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बाल्य काल एव यौवन
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तीसेणं तओ नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तं जहा - तिसला इ वा विदेहदिण्णा इ वा पियकारिणो इ वा ॥ १०६ ॥
अर्थ - श्रमण भगवान् महावीर की माता वासिष्ठ गोत्र की थी। उनके तीन नाम इस प्रकार कहने में आये है । यथा - | - ( १ ) त्रिशला, (२) विदेह दिण्णा और ( ३ ) प्रियकारिणी ।
मूल :
समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पित्तिज्जे सुपासे जेट्ठ भाया नंदिवडणे, भगिणी सुदंसणा भारिया जसोया कोंडिन्ना गोत्तणं ॥ १०७॥
अर्थ- श्रमण भगवान् महावीर के चाचा का नाम सुपार्श्व था । बड़े भ्राता का नाम नन्दिवर्धन था, बहिन का नाम सुदर्शना था, पत्नी का नाम यशोदा था और उसका गोत्र कौडिन्य था ।
विवेचन - - भगवान महावीर के विवाह के प्रश्न पर श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्परा मे गहरा मतभेद है । भगवान के विवाह के सम्बन्ध में श्वेताम्बर आम्नाय के मूल आगमों आचारांग आदि में तथा नियुक्ति, भाष्य एव चूर्णि साहित्य मे पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध होते है । दिगम्बर ग्रन्थों में महावीर के लिए 'कुमार' शब्द का प्रयोग हुआ है ।" और संभवत इसी शब्द के कारण उन्हें अविवाहित मानने की भ्रांति हुई है । प्रस्तुतः 'कुमार' का अर्थ 'कुआरा' अविवाहित ही नही होता है, बल्कि कुमार का अर्थ 'युवराज'' " 'राजकुमार'' १८३ आदि भी होता है और इसी अर्थ को व्यक्त करते हुए श्वेताम्बर ग्रन्थो ने भी वीर, अष्टिनेमि, पार्श्व, मल्लि और वासुपूज्य के लिए 'कुमार वासम्म पव्वइया' कहकर 'कुमार' शब्द का प्रयोग किया है ।
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मूल :
११८४
समणस्स णं भगवओ महावीरस्स णं धूया कासवी गोत्तेणं,