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________________ १३६ जन-रञ्जन के लिए स्थान-स्थान पर नट नाटक करें, नृत्य करने वाले नृत्य करें, रस्सी पर खेल बताने वाले खेल बताएँ, मल्ल कुश्ती करें, मुष्टि से कुश्ती करने वाले मुष्टि से कुश्ती करें, विदूषक लोगों को हँसावे, कूदने वाले कूदकर अपने खेल बताएं, कथावाचक कथा कर जन-मन को प्रसन्न करें, सुभाषित बोलने वाले पाठक सुभाषित बोले । रास क्रीड़ा करने वाले रास की क्रीड़ा करें, भविष्य कहने वाले भविष्य कहें, लम्बे बांस पर खेलने वाले बांस पर खेल करें, मेखलोग-हाथ में चित्र रखकर चित्र बताए, तूणी लोग तूण नामक वाद्य बजावें । वीणा बजाने वाले वीणा बजावें, ताल देकर नाटक करने वाले नाटक दिखायें, इस प्रकार जन रञ्जन हेतु नगर में यह सब व्यवस्था करो, और दूसरों से कराओ, और ऐसा करवा के हजारों गाड़ियों के जूए और हजारो मूसल ऊंचे स्थान पर खड़े करवाओ अर्थात् जूए में जुड़े हुए बैलों को बंधन मुक्त करके आराम पाने दो, और मुशल आदि से होने वाली हिंसा को रोको यह सब उपक्रम करके मेरी आज्ञा पुनः अर्पित करो, अर्थात् जो मैंने कहा है वह सभी कार्य करके मुझे सूचित करो। मूल: तए णं ते णगरगुत्तिया सिद्धत्थेणं रन्ना एवं वुत्ता समाणा हतुट्ट जाव हियया करयल जाव पडिसुणित्ता खिप्पामेव कुंडपुरे नगरे चारगसोहणं जाव उस्सवेत्ता जेणेव सिद्धत्थे राया तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता करयल जाव कटु सिद्धत्थस्स रनो एयमाणत्तियं पच्चप्पिणंति ॥८॥ अर्थ-उसके पश्चात् सिद्धार्थ राजा ने जिनको आज्ञा प्रदान की उन नगरगुप्तिक को (नगर के रक्षक, कोतवाल)७२ को अपार आनन्द हुआसन्तोष हुआ, यावत् प्रसन्न होने से उनका हृदय प्रफुल्लित हुआ। उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर सिद्धार्थ राजा की आज्ञा विनयपूर्वक स्वीकार की। अब वे शीघ्र ही कुण्डपुर नगर में सर्व प्रथम कारागृह को खोलकर बन्दियों को मुक्त करते हैं और मूसल उठवाकर रखने तक के पूर्वोक्त सभी कार्य करते हैं। कार्य करने
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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