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________________ बम्म महोत्सव क्कतुरुक्कडज्यंत धूवमघमर्धितगंधुद्धयाभिरामं सुगंध वरगंधियं गंधवट्टिभूयं नडनट्टगजल्ल मल्ल मुट्ठियवेलंबग पवगक हग पढकलासकआईखगलंख मंखतूणइल्लतु ववीर्णिय अणेगतालायराणुचरियं करेह कारवेह, करेत्ता कारवेत्ताय जूयसहस्सं च मुसलसहस्सं च उसवेह, उस्सवित्ताय मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिह ॥ ६७ ॥ १३५ अर्थ - हे देवानुप्रिय । शीघ्र ही कुण्डपुर नगर के कारागृह को खाली करदो अर्थात् सब बन्दियों को मुक्त करदो । तोल-माप को बढ़ाओ, (अर्थात् व्यापारियों से कहो कि घृत अन्नादि पदार्थ सस्ते बेचो, ( सस्ते बेचने से जो नुकमान होगा उसकी पूर्ति राज्यकोष से की जायेगी । तोल माप को बढ़ाने के पश्चात् कुण्डपुर नगर के अन्दर और बाहर सुगन्धित पानी का छिड़काव कराओ, साफ कराओ, लेपन कराओ, कुण्डपुर नगर के त्रिकों में, चतुष्कों में, चत्वरों (जहां बहुत से रास्ते मिलते हों) में, राजमार्ग या सामान्य सभी मार्गों में पानी का छिड़काव कराओ, उन्हें पवित्र बनाओ, जहाँ तहाँ सभी गलियों में और सभी बाजारों में पानी का छिड़काव और स्वच्छ कर उन स्थानों पर देखने हेतु आने वाले दर्शकों के बैठने के लिए मंच बनाओ, विविध रंगो से सुशोभित ध्वजा और पताकाऍ बंधाओ, मारे नगर को लिपा-पुताकर स्वच्छ बनाओ, नगर के भवनों की भीतों पर गोशीर्ष चन्दन के, सरम रक्त चन्दन के, दर्दर (मलय) चन्दन के, पांचों अंगुलियां उभरी हुई दृष्टिगोचर हों इस प्रकार थापे लगाओ । घरों के भीतर चौक में चन्दन कलश रखाओ, द्वार-द्वार पर - चन्दन घटों के सुन्दर तोरण बंधाओ, जहां तहां सुन्दर प्रतीत होने वाली एवं पृथ्वी को स्पर्श करती लम्बी गोल मालाएँ लटकवाओ, पञ्चवर्ण के सुन्दर सुगंधित सुमनों के ढेर कराओ, पुष्पों को इधर-उधर विकीर्ण करवाओ, स्थानस्थान पर गुलदस्ते रखाओ, यत्र-तत्र सर्वत्र प्रज्वलित श्याम अगर, उत्तम कुन्दरु, लोमान तथा धूप की सुगन्ध से सम्पूर्ण नगर को सुगंधित करो । सुगंध से सारा नगर महक उठे ऐसा करो। सुगंध की अत्यधिकता के कारण सारा नगर गंध गुटिका के समान प्रतीत हो ऐसा बनाओ ।
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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