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१.३४ सूचना दी। यह शुभ सूचना सुनकर राजा बहुत ही प्रसन्न हुआ। और इस प्रसन्नता के उपलक्ष में राजा ने मुकुट के सिवाय अपने समस्त आभूषण उतार कर दासी को पुरस्कार में दे डाले और उसे दासी कर्म से मुक्त करके उचित सन्मानार्ह पद दिया। मूल :
तए णं से सिद्धत्थे खत्तिए भवणवइवाणमन्तरजोइसवेमाणिएहिं देवेहिं तित्थयरजम्मणाभिसेयमहिमाए कयाए समाणीए पच्चूसकालसमयंसि नगरगुत्तिए सहावेइ नगरगुत्तिए सहावित्ता एवं वयासी ॥६६॥
___अर्थ-उसके पश्चात् सिद्धार्थ क्षत्रिय, भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों द्वारा तीर्थंकर जन्माभिषेक-महिमा संपन्नकर चुकने के पश्चात् प्रातः नगररक्षक को बुलाता है, नगर रक्षक को बुलाकर इस प्रकार कहता है:मल:
खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! कुडपुरे नगरे चारगसोहणं करेह, चारगसोहणं करित्ता, माणुम्माणवद्धणं करेह, माणुम्माणवद्धणं करित्ता कुडपुरं नगरं सब्भितरबाहिरियं आसियसम्मज्जियोवलेवियं सिंघाडगतियचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु सित्तसुइसम्मट्टरत्यंतरावणवोहियं मंचाइमंचकलियं नाणाविहरागभूसियज्झयपडागमंडियं लाउल्लोइयमहियं गोसीससरसरत्तचंदणदहरदिण्णपंचंगुलितलं उवचियचंदणकलसं चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागं आसत्तोसत्तविपुलवट्टवग्धारियमल्लदामकलावं पंचवन्नसरससुरहिमुक्कपुष्पजोवयारकलियं कालागुरुपवरकुंदर