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________________ उपायनपर्व का एक अध्ययनं १५५ } में ही करनी चाहिए । संभवतः ये हुए चीन की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर बसे a ग्नू थे, जिनके कारण यू-शी लोगों को अपना देश त्यागना पड़ा और जिनसे बचने के लिये हाक राजाओं ने चीन की दीवाल बनाई। उपायनपर्व में जिस क्रम से चीन, हूण इत्यादि की तालिका दी है वह ठीक है। पहले चीनवासी आते हैं फिर मंगोलिया की तरफ रहनेवाले हुए। इसके बाद शकों के कबीले जो इसिककुल झील के इर्द-गिर्द ई० पू० द्वितीय शताब्दि में बस गए थे और उसके बाद ओड्र जो स्वात के वासी थे और जिनके बारे में हम फिर कुछ कहेंगे। शकों के ठीक पीछे ओड़ों के उल्लेख से हमें संभवतः उस रास्ते का संकेत मिलता है जिसे शकों ने यू-शियों से हराए जाने पर ग्रहण किया था । ऊपर की विवेचनाओं से सभापर्व के समय पर कुछ प्रकाश पड़ा है। ऋषिक, शक, तुखार, कंक, हूण, चीन इत्यादि जातियों की भौगोलिक स्थिति पर प्रकाश डाला जा चुका है। अंताखी और रोमा के उल्लेख से तथा मध्यमिका के घेरे के संबंध में हम बहुत कुछ कह चुके हैं। इन सब प्रमाणों को तोलते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि जिन घटनाओं का उल्लेख हम पाते हैं। वे स ंभवत: १८४ से १४८ ई० पू० के बीच घटी होंगी जो पुष्यमित्र शुंग का राज्यकाल था । 8 ३ दिग्विजयोपरांत पांडवों ने । राजसूय यज्ञ की तैयारी की और उसमें दुर्योधन को भी न्योता भेजा गया उसमें बहुत जोर-शोर की तैयारी की गई। बड़े बड़े जुलूस निकाले गए। बड़े सभा स्थल की योजना की गई जिसमें भारतवर्ष के कोने कोने से आकर राजाओं तथा गणतंत्र के प्रतिनिधियों ने भेंट दी। बहुत सी बर्बर जातियाँ भो हिमालय तथा हिंदूकुश से आई; पूर्व भारत के संथाल, शबर और किरात भी उस महान् यज्ञ में सम्मिलित हुए । एक ओर तो ये बर्बर थे और दूसरी ओर थे पंजाब तथा भारत के और प्रांतों के पुराने राजवंश जो अपने साथ घोड़े, हाथी, शाल इत्यादि युधिष्टिर को भेंट करने के लिये लाए थे । दुर्योधन को ईर्ष्या हुई और वापस लौटने पर उसने धृतराष्ट्र से इसका ठीक ठीक वर्णन किया। इस वर्णन से भारतीय भूगोल पर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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