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________________ साहसांक विक्रम और चंद्रगुप्त विक्रमादित्य की एकता १२१ आचार्य दंडी की अवतिसुदरीकथा में किसी प्रथ गंध० का नामोल्लेख है। ३०-अमरकोश पर लिखे गए टोकासर्वस्व में विक्रमादित्य-कोश का प्रमाण उद्धृत किया गया है। पुरुषोत्तम अपनी हारावलि के अंत में विक्रमा. दित्य और उसके कोश संसारावर्त का नाम स्मरण करता है। महेश्वर से स्मरण किए गए साहसांक कोश का उल्लेख हम पहले कर आए हैं। यह संसारावत कोश विक्रमादित्य-साहसांक की कृति था। .. अत: संख्या २६ में लिखी गई राजशेखर की बात कि चंद्रगुप्त (साहसांक ) एक विद्वान् काव्यकार था, उपयुक्त तीनों प्रमाणों से भी सिद्ध होती है। ३१-सेतुबंध काव्य पर किसी साहसांक की भी एक टीका थी। ऐतिहासिक अध्ययन के लिये उस टीका का अन्वेषण अत्यंत आवश्यक है। शकांतक भयवा शकारि-विक्रम अथवा चंद्रगुप्त भारतीय इतिहास में शकों का प्रथम नाशक श्रीहर्षविक्रम अथवा शूद्रक था। उसके पश्चात् शक फिर प्रबल हो गए थे। उनका नाश चंद्रगुप्तविक्रम ने किया। इस संबंध का विस्तृत उल्लेख हम अपने भारतवर्ष के इतिहास में कर चुके हैं।। वहाँ अनेक प्रमाणों से यह बता चुके हैं कि शकारि नाम चंद्रगुप्त का हो था। उससे आगे हमने कवि अमरु का निम्नलिखित श्लोकार्द्ध सदुक्तिकर्णामृत से उद्धृत किया है। श्लोकोऽय हरिषाभिधानकविना देवस्य तस्वागतो यावद्यावदुदीरितः शकवधूवैधव्यदीक्षागुरोः। * पृ०७४ 1५/४॥ +ोरियटल कान्फरेंस वृत्त, लाहौर, भाग प्रथम, पृ० ६६४,६६५। ६ देखा शूद्रक पर हमारा लेख, 'श्री स्वाध्याय' त्रैमासिक पत्र, सोलन । ॥ पृ० ३३८-३४०। उस समय श्रीहर्ष विक्रम और साहसांक विक्रम का भेद हमें ज्ञात नहीं था। शूद्रक संबंधी लेख में हमने वह भेद स्पष्ट कर दिया है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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