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देशावकाशिक व्रत की दूसरी व्याख्या
स प्रकार नियमों का चिन्तन करके और प्रत्येक
- नियम के विषय में मर्यादा करके स्वीकृत व्रतों से सम्बन्धित जो मर्यादा रखी गई है, उसमें द्रव्य और क्षेत्र से संकोच किया जाता है, उसी प्रकार पाँच अणुव्रतों में काल की मर्यादा नियत करके एक दिन रात के लिए प्रास्रव सेवन का त्याग किया जाय यह देशावकाशिक व्रत है। इस तरह के त्याग को वर्तमान समय में दया या छः काया कहा जाता है। दया या छः काया करने के लिए, आस्रव द्वार के सेवन का एक दिन रात के वास्ते त्याग करके विरति पूर्वक धर्म-स्थान में रहा जाता है। ऐसी विरति, त्याग पूर्ण जीवन बिताने के लिए अभ्यास रूप है। दया
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