________________
४३
सामायिक से लाभ संसार की समस्त सम्पदा तुच्छ है। सामायिक के वास्तविक फल की तुलना में सांसारिक सम्पदा किस प्रकार तुच्छ है, यह बताने के लिए भगवान महावीर के समय की एक घटना का वर्णन किया जाता है।
एक समय मगधाधिप महाराजा श्रेणिक ने श्रमण भगवान महावीर से अपने भावी भव के सम्बन्ध में पूछा। वीतराग भगवान महावीर को राजा श्रेणिक की प्रसन्नता अप्रसन्नता को कोई अपेक्षा न थी। इसलिए राला श्रेणिक के प्रश्न के उत्तर में, भगवान ने राजा श्रेणिक से कहा कि-राजन् ! यहाँ का आयुष्य पूर्ण करके तुम रत्नप्रभा पृथ्वी यानी नरक में उत्पन्न होलोगे । राजा श्रेणिक ने भगवान से फिर प्रश्न किया, कि प्रभो! क्या कोई ऐसा उपाय भी है, कि जिससे मैं नरक को यातना से बच सकूँ ? भगवान ने उत्तर दिया कि उपाय तो अवश्य है, लेकिन यह उपाय तुम कर न सकोगे। जब श्रेणिक ने भगवान से उपाय बत्ताने के लिए आग्रह किया तब भगवान ने उसे ऐसे चार उपाय बताये, जिनमें से किसी भी एक उपाय के करने पर वह नरक जाने से बच सकता था। उन चार उपायों में से एक उपाय पूनिया श्रावक की सामायिक लेना था।
महाराजा श्रेणिक पूनिया श्रावक के पास जाकर उससे बोला, कि भाई पूनिया! तुम मुझ से इच्छानुसार धन ले लो और उसके
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com