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श्रावक के चार शिक्षा व्रत
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बदले में मुझे अपनी सामायिक दे दो। राजा के इस कथन के उत्तर में पूनिया श्रावक ने कहा, कि सामायिक का क्या मूल्य हो सकता है, यह मैं नहीं जानता हूँ। इसलिए जिनने आपको मेरी सामायिक लेना बताया है, आप उन्हीं से सामायिक का मूल्य जान लीजिये।
राजा श्रेणिक फिर भगवान महावीर की सेवा में उपस्थित हुभा। उसने भगवान को पूनिया श्रावक का कथन सुनाकर पूछा, कि पूनिया श्रावक की सामायिक का क्या मूल्य हो सकता है ? भगवान ने राजा श्रेणिक से पूछा, कि तुम्हारे पास इतना सोना है, कि जिसकी छप्पन पहाड़ियाँ (डुंगरियाँ ) बन जावें, परन्तु इतना धन तो सामायिक की दलाली के लिए भी पर्याप्त नहीं है । फिर सामायिक का मूल्य कहाँ से दोगे ? भगवान का यह कथन सुनकर, राजा श्रेणिक चुप हो गया।
यह घटना इसी रूप में घटी हो या दूसरे रूप में या कथानक की कल्पना मात्र ही हो किन्तु बताना यह है, कि सामायिक के फल के सामने सांसारिक सम्पदा तुच्छ है, फिर वह कितनी और कैसो भी क्यों न हो!
__ सामायिक की सफलता-निष्फलता को सामायिक करने वाला स्वयं ही जान सकता है। कोई निन्दा करे या प्रशंसा करे, गाली दे या धन्यवाद दे, मारे पोटे या छाया करे, धन हरण करे या Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com