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सामायिक व्रत का महत्व करना चाहिए । परन्तु कई लोग आत्म शुद्धि के लिए ऐसे कार्य करने के बदले सामायिक लेकर बैठे होने पर भी ऐसी बातें या ऐसे कार्य करते हैं, जिनके कारण समीप बैठे हुए अन्य सामायिकधारी लोगों के चित्त की भी एकाग्रता नष्ट होती है, तथा उनका चित्त भों उन बातों या कार्यों की ओर खिंच जाता है। जहाँ धर्म-कार्य के लिये अनेक लोग एकत्रित होते हैं, ऐसे पौषधशाला आदि स्थानों पर तो सामायिक करने वालों का चित्त विशेष एकाप्र रहना चाहिए, चित्त में स्थिरता होनी चाहिए, किन्तु सामायिक का उद्देश्य एवं सामायिक को विधि न जानने वाले लोगों के कारण ऐसे धर्म स्थानों का भी वातावरण दूषित हो जाता है और कभी-कभी तो किसी एक के कुछ कहने पर दूसरा कुछ तथा तीसरा कुछ कहता है और होते-होते वह धर्म स्थान कलह स्थान बन जाता है। ___तात्पर्य यह है कि सामायिक विषयक श्रेष्ठतम आदर्श और सरल साहित्य के अभाव के कारण वर्तमान युवकों की रुचि और श्रद्धा सामायिक के प्रति कम देखी जाती है। इस बात को दृष्टि में रख कर ही सामायिक विषयक यह साहित्य जनता के सामने रखा जाता है। आशा है कि यह साहित्य सामायिक सम्बन्धी प्रवृत्ति में घुसे हुए दूषणों को निकाल कर सामायिक के प्रति लोगों में श्रद्धा एवं रुचि उत्पन्न करने में सहायक होगा। (संपादक) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com