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कि जब २ स्त्री जाति को उसकी शक्तियों के विकास के लिये उचित मौका दिया गया तो वह किसी क्षेत्र में पुरुष से कम नहीं रहो। जिन कार्यों को पुरुषों ने किया उनको स्त्रियां भी कर लेती थीं। विद्या के क्षेत्र में ही देखिये । जिस प्रकार वेदों में प्राचीनतम ऋग्वेद के मंत्रों के बनाने वाले या द्रष्टा (पुरुष) ऋषि थे इसी प्रकार लोमशा, घोषा, विश्वावारा इन्द्राणी और आपाली आदि स्त्रियां भी वेदमंत्रों की ऋषि थीं। गार्गी और सरस्वती की विद्वत्ता से सब परिचित हैं ही। आज कल भी अमेरिका में भारत की राजदूत श्री विजय लक्ष्मी पण्डित और स्वर्गीय उत्तर प्रदेश की गवर्नर श्रीमती सरोजनी नायडू की विद्वत्ता से कौनसा भारतीय परिचित नहीं है । भारत ही क्यों भारत की इन भर्तय माताओं की विद्वत्ता विश्वभर में प्रख्यात है। इसी प्रकार विदेशों में भी मैडल क्यूरी श्रादि अनेक महिलाओं ने विज्ञान क्षेत्र में बड़े २ अविष्कार करके कमाल कर दिया है । इसी प्रकार वीरता के क्षेत्र में भी स्त्री पुरुष से पीछे नहीं रही। पुरुषों की भान्ति स्त्रियां भी बड़े २ संग्रामों में वीरता दिखाती श्राई हैं । मुद्गल पत्नी इन्द्रसेना ने बड़ी चतुराई से संग्राम में रथ हांका था और बड़ी वीरता से उस ने इन्द्र के शत्रुओं का नाश किया था। अस्त्र संचालन कला में वह बड़ी प्रवीण मानी जाती थी। जब शत्रु गऊएं चुराकर जाने लगे इस वीर नारी ने उन से ऐसा युद्ध किया कि वे गौएं वह छोड़कर अपनी जान लेकर भागे।
पुराने समय को छोड़कर भारत पर मुग़ल और अंगरेज़ी शासन के कुछ उदाहरण लीजिये । रानी दुर्गावती ने आसफ़खो को कैसे संग्राम भूमि में पछाड़ा था। अमरसिंह राठौर की वीरपत्नी किस प्रकार लड़ते लड़ते अपने पति की लाश मुग़ल कोर्ट से उठा लाई थी। कोहापुर की रानों ताराबाई, रक्तकारन बी की अनुवाई,
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