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________________ ( ८१ ) इन्दौर को ग्रहल्याबाई तथा झांसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने बड़ी ही चतुराई से राज्य शासन भी चलाया और युद्ध भी किये । ताराबाई की कूटनीति के कारण श्ररङ्गज़ेब को बुरी तरह मार खानी पड़ी । अनुबाई ने अनेक बार शत्रुत्रों को हराया । लक्ष्मीबाई ने अंगरेजों के नाक में दम कर दिया था । पुरुष की तरह राज्यसत्ता भी स्त्रियों के हाथ में रह चुकी है और उसे बड़ी प्रवीणता से वे चलाती रही हैं । दक्षिण भारत में कुछ शिलालेख ऐसे मिले हैं जिन से स्त्रियों का राज्यशासन में भाग लेना सिद्ध होता है । सातवीं शताब्दी के मध्य भाग में चालुक्य वंश के राजा श्रादित्य की महिषी विजयमदारिका बम्बई के दक्षिण में राज्य करती थी । १०५३ ईस्वी में चालुक्य राजा सोमेश्वर की महारानी मैलादेवी बनवासी प्रान्त पर राज्य करती थी । जयसिंह तृतीय की बहिन अक्कादेवी १०२२ ईस्वी में किसुकद जिले पर राज्य करती थी । १०७६ ई० में विजयादित्य की बहिन कुंकुमदेवी कर्नाटक के धारवाड़ जिले पर शासन करती थी । इस से यह स्पष्ट है कि शासन कार्य में भी स्त्री पुरुष की भांति ही बड़ी पटु रही है और बड़ी गंभीरता से राज्य के सब कार्यों का संपादन करती रही है । इस प्रकार शिक्षा, विज्ञान, बीरता और राज्यशासन आदि सभी सामाजिक क्षेत्रों में स्त्री पुरुष के समान ही प्रख्याति प्राप्त करती आई है । फिर कोई ऐसा कारण दृष्टिगोचर नहीं होता कि स्त्रियों का पुरुषों के समान सम्मान न किया जाय । श्राचरण, सहनशीलता, त्याग, तपस्या, प्रेम, कृतज्ञता, साहस, सेवा और श्रद्धा इन गुणों में तो समानता नहीं कर सकता । सीता, सावित्री, पार्वती, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat करुणा, उपकार, पुरुष भी स्त्री की द्रौपदी और दम www.umaragyanbhandar.com
SR No.035261
Book TitleShraman Sanskriti ki Ruprekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Chandra Jain
PublisherP C Jain
Publication Year1951
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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