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धर्म" इस सिद्धान्त 'का बहुत ऊंचा स्थान है । इस छोटे से लेख में पाठकों को भलीभांति पता चल गया होगा कि जैन धर्म वास्तव में वीर धर्म है। जो लोग इस से अन्यथा कल्पना करते हैं वे जैनधर्म के मर्म से अनभिज्ञ हैं । उन को चाहिये कि वे जैन शास्त्रों का अध्ययन करके इस के महत्व को समझे । इम के साथ २ मैं जैन कुलोत्पन्न सज्जनों से भी निवेदन करना चाहता हूं कि वे नाममात्र के जैन होने में ही गौरव न समझे । उन को अपनी प्राचीन संस्कृति और प्राचीन गौरव को कभी न भुलाना चाहिये । यदि वे अपने पूर्वजों के दिखाए पथ पर चलेंगे तभी वास्तव में सच्चे जैन कहलाने के योग्य बन सकेंगे।
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