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प्रकाश डालती है। उपयुक्त उदाहरण से यह भी स्पष्ट है कि विक्रम संवत ५१० के लगभग वल्लभी पुर में जिम ज्ञान को ग्रथित किया गया था वह प्राचीन परंपरा से चला आता ज्ञान है। अतः साहित्यिक दृष्टि से भी श्वेतांबर सम्प्रदाय दिगंबर संप्रदाय से प्राचीन ही सिद्ध होता है ।
इस प्रकार दिगवर शब्द के अर्थ से ऋग्वेद की ऋचा से, निग्रन्थ शब्द की परिभाषा से, दर्शन सार के उद्धरण से और साहित्यक दृष्टि से तो श्वेतांबर सम्प्रदाय से दिगंबर संप्रदाय प्राचीन नहीं ठहरता । श्वेताँबर ही दिगंबर से प्राचीन सिद्ध होता है। हां, भविष्य में होने वाली नई गवेषणात्रों से यदि दिगंबरों की प्राचीनता को प्रमाणित करने वाले और नए कुछ प्रमाण मिल जाएं तो दूसरी बात है। यह लेख केवल गवेषणात्सक दृष्टि से लिखा है, सांप्रदायिक दृष्टि से नहीं । यदि अब भी ऐसे अकाटय प्रमाण मिल सके जिनसे दिगंबर श्वेतांबरों से अधिक प्राचीन सिद्ध होते हो तो भी मेरे लिये कम प्रसन्नता की बात नहीं।
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