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सम्प्रदाय हैं । एक श्वेताम्बर सम्प्रदाय और दूसरा दिगम्बर श्वेताम्बर का अर्थ है श्वेत वस्त्र धारी और दिगम्बर नग्न | इन दोनों में भी प्राचीनतर कौनसा है यह विषय विवादास्पद है । कई विद्वानों ने यत्र तत्र इस विषय पर अपने विचार प्रकट किये हैं । यह लेख भी इसी विषय पर प्रकाश डालने के हेतु लिखा गया है ।
कुछ विद्वानों का विचार है कि दिगम्बर सम्प्रदाय श्वेताम्बर सम्प्रदाय से प्राचीन है । कुछ विद्वानों के विचार से श्वेताम्बर सम्प्रदाय दिगम्बर सम्प्रदाय से प्राचीन है । दोनों मन्तव्य के लोग अपने २ दृष्टिकोण के अनुसार युक्तियाँ देते हैं। दोनों में सत्य कौन है इस विषय पर संक्षेप से प्रकाश डालने का प्रयत्न किया जायगा ?
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दिगम्बर और श्वेताम्बर इन दो शब्दों पर दृष्टि डालने से तो दिगम्बर ही प्राचीन मालूम होते हैं । जिस प्रकार प्रगतिवाद की दृष्टि से ग्रामीण सभ्यता नागरिक सभ्यता से प्राचीन ठहरती है क्योंकि नागरिक सभ्यता ग्रामीण सभ्यता का उत्तरोत्तर विकास है। ठीक इसी प्रकार विकासवाद की दृष्टि से दिगम्बर नम पहिले होने चाहियें और श्वेताम्बर श्वेत वस्त्र धारी बाद में । वस्त्र भूषणादि धारण करना ये नागरिक सभ्यता के चिन्ह है | वास्तविक विचार करने से उपर्युक्त युक्ति सार गर्भित प्रतीत नहीं होती । उदाहरण के लिये संस्कृत और प्राकृत शब्दों पर दृष्टि डालिये । प्राकृत भाषा से स्वाभाविक भाषा और संस्कृत से संस्कार की हुई भाषा ये अर्थ प्रतीत होते हैं इस से यह स्पष्ठ ज्ञात होने लगता है कि प्राकृत प्राचीन भाषा है और संस्कृत बाद की किन्तु वास्तव में यह बात असत्य है । साहित्यिक दृष्टिसे संस्कृत के वेदादि ग्रन्थ बहुत प्राचीन ठहरते हैं और आजकल उपलब्ध प्राकृत साहित्य उन से बहुत पीछे का है। इस के अतिरिक्त 'प्रकृतिः संस्कृतम्-ततः श्रागतम्
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