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उपर्युक्त प्रमाणों से यह स्पष्ट है कि जैनधर्म श्रायाँ के ग्रागमन के पूर्व प्रचलित धमों में से एक है। यों के श्राने के पश्च त् भी इस ने उन से बराबर टक्कर ली और अपने उच्च सिद्धान्तों के बलपर फिर आर्य धर्म भी बन गया । समय श्राने पर कई बार यह भारत का राजधर्म भी बना। इस के उत्कट सिद्धान्तों ने ही इसे वैदिक और बौद्ध जैसे परिपन्थियों में जावित रखा | बुद्ध धर्म जैसे व्यापक राजधर्म भारत से लुमप्राय हो गए किन्तु जैनधर्म अपना अस्तित्व बनाये हुए है ।
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