________________
( ८ )
सातवें
इस खोज से केवल जैनधर्म के बहुत प्राचं न होने का ही पता नहीं चलता किन्तु जैनियों के तीर्थंकर सुगश्वनाथ के व्यक्तित्व पर भी बड़ा प्रकाश पड़ता है । इस में कोई आश्चर्य नहीं कि भविष्य में और कुछ प्राचीन अवशेष मिल जायें, जिन के आधार पर पार्श्वनाथ की तरह सातवें तीर्थंकर श्री सुपार्श्वनाथ को भी ऐतिहासिक व्यक्ति मान लिया जाय । जिस प्रकार अब तक अतीत काल के अवशेषों ने भविष्य के इतिहास पर सत्य का प्रकाश डाला है और उसे उज्वल बनाया है, इसी प्रकार भविष्य में भी होता रहेगा ।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com