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________________ ७० - सरस्वती सदा की भाँति इस बार भी 'लोकमान्य' का दीपावलीक अच्छा निकला है । इस अंक में भिन्न-भिन्न विषयों के सुन्दर लेखों का अच्छा संकलन किया गया. । इसके सभी लेख अपनी विशेषता रखते हैं । बाबू जुगलकिशोर बिड़ला, डाक्टर किशोरीलाल शर्मा, श्री ए० बी० पंडित, श्रीयुत श्रीचन्द्र अग्निहोत्री आदि के लेख बड़े महत्त्व के हैं। श्री महालक्ष्म्यै नमः का सुन्दर रंगीन चित्र है तथा अनेक और भी सादे चित्र हैं । भारतीय संस्कृति के विषय पर भी इस अंक में ख़ासा प्रकाश डाला गया है । १४ -- प्रभाकर (साप्ताहिक पत्र ) - संपादक श्रीयुत हरिशंकर शर्मा, प्रकाशक, प्रभाकर- प्रेस, ५३ ए० सिविल लाइन, आगरा, हैं और वार्षिक मूल्य ३) है । श्रीयुत हरिशंकर शर्मा अनुभवी सम्पादक हैं । श्रागरे के 'मित्र' का आपने बहुत दिनों तक योग्यता के साथ सम्पादन किया है । अब आपने 'प्रभाकर' नाम का अपना एक नया पत्र निकाला है। इसकी पहली किरण हमारे सामने है । इसके मुखपृष्ठ पर प्राचार्य पंडित महावीरप्रसाद द्विवेदी का चित्र और एक सुन्दर श्लोक है । इसके अतिरिक्त देश-विदेश की अनेक ख़बरें और कई महत्त्वपूर्ण लेख हैं । हमें आशा है कि श्री शर्मा जी के सम्पादन 'प्रभाकर' अपने ढंग का एक विशिष्ट पत्र होगा । समाचारपत्र के पाठकों को इस सुन्दर पत्र से अवश्य लाभ उठाना चाहिए । १५ - प्रताप का 'विजयाङ्क' - सम्पादक, श्रीयुत हरिशंकर विद्यार्थी, प्रकाशक, प्रताप प्रेस, कानपुर हैं । पृष्ठसंख्या २२ और मूल्य ) || है | प्रताप का 'विजयांक' सदा की भाँति सुन्दर निकला है । इस अंक में अनेक सचित्र लेखों का संकलन किया गया है । पं० बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' की 'दाशरथी राम' शीर्षक कविता सुन्दर है । इसके अतिरिक्त राम के सम्बन्ध में और भी कई लेख हैं । इस अंक के लेखकों में श्री जैनेन्द्रकुमार, श्री विश्वम्भरनाथ 'कौशिक', प्रो० सद्गुरुशरण अवस्थी आदि के लेख उल्लेखनीय हैं । १६ – 'मिलाप' का 'दुर्गा पूजा अंक' - सम्पादक, श्रीयुत लाला खुशहालचन्द, खुर्सद, प्रकाशक, हिन्द-मिलाप कार्यालय, लाहौर हैं और इस अंक का मूल्य = ) है । लाहौर का 'हिन्दी-मिलाप' एक लोकप्रिय पत्र है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat [ भाग ३८ इसका बिजयांक ख़ासा सुन्दर निकला है । यह अनेक वीरों के चित्रों से भली भाँति सजाया गया है। रंगीन मुख - पृष्ठ के अतिरिक्त झाँसी की वीर रानी का सुन्दर चित्र अति प्राकषक है। इसमें अनेक सादे चित्र भी दिये गये हैं । इसके सभी लेख सुपाठ्य हैं । १७ - 'अर्जुन' का 'रियासत-अंक'–सम्पादक, श्रीयुत कृष्णचन्द्र, प्रकाशक, अर्जुन- प्रेस, श्रद्धानन्द बाज़ार, देहली हैं और मूल्य केवल 1 ) है । यह अंक अपने ढंग का अनूठा है। भारतीय रियासतों के सम्बन्ध के अनेक सुन्दर लेखों का इसमें संग्रह किया गया है। श्री पट्टाभि सीतारमैया, श्रीदेवव्रत वेदालंकार, कवीश्वर स० शार्दूलसिंह, सेठ गोविन्ददास, आदि अनेक विद्वानों के अनूठे लेखों का इसमें संकलन किया गया है। चित्रों का संकलन भी सतर्कता से किया गया है । मुख पृष्ठ पर महाराणा प्रताप का चित्र है। पाठकों को यह अंक अवश्य पढ़ना चाहिए । १८- स्वतंत्र भारत - सम्पादक, पंडित शारदाप्रसाद अवस्थी, प्रकाशक स्वतंत्र - भारत - कार्यालय, १०२ मुक्ताराम स्ट्रीट, कलकत्ता हैं । पृष्ठ संख्या ४५ और मूल्य ) है । 'दीपावली' के उपलक्ष में प्रकाशित होने के कारण इसके सभी लेख दीपावली से सम्बन्ध रखते हैं। चित्रों का संग्रह भी किया गया है । पाठकों को इससे ज़रूर लाभ उठाना चाहिए । १९ - भूगोल का 'स्पेन - अंक' - सम्पादक, श्रीयुत ग्रानन्दस्वरूप गुप्ता, प्रकाशक, भूगोल- कार्यालय, इलाहाबाद हैं | पृष्ठ संख्या १३६ और मूल्य || ) है | प्रयाग का 'भूगोल' हिन्दी में अपने ढंग का एक ही पत्र है । यह उसका स्पेन अंक है । इस अंक में स्पेन की भौगोलिक स्थिति पर काफ़ी प्रकाश तो डाला ही गया है, उसकी सामाजिक और राजनैतिक स्थितियों का भी सम्यक् परिचय दिया गया है। आज कल स्पेन में घरेलू लड़ाई हो रही है, इसलिए पाठकों को उसके सम्बन्ध में विशेष जानकारी की उत्सुकता है । इस अंक से स्पेन की ऐसी सभी बातें पाठकों की समझ में आसानी से ज्ञात हो सकती हैं । इस दृष्टि से भी यह अंक इस समय विशेष उपयोगी है । इसमें अनेक चित्र भी दिये गये हैं । www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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