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श्री भारतमाता-मंदिर
में जहाँ हिन्दी का पौधा उत्तर-भारत से ले जाकर लगाया
१९ मार्गशीर्ष १९९३ गया हो, बाबू शिवप्रसाद गुप्त को वहाँ के अधिवेशन का प्रिय महाशय-सादर नमस्कार
सभापति बनाना हिन्दी के गौरव को बढ़ाना होगा। ___ मैंने अभी आई हुई 'सरस्वती' के मार्गशीर्ष के अंक में मुझे दुःख है कि मैं मत-दाताओं में नहीं हूँ, पर ,भारतमाता-उद्घाटन-सम्बन्धी टिप्पणी पढी। जिन शब्दों में जा है उनसे मेरा निवेदन है कि वे अपना मत बाब
आपने उसे लिखा है, पढ कर बड़ा अनग्रहीत हा। अनेक शिवप्रसाद गुप्त के पक्ष में अवश्य दें। मैंने सुना धन्यवाद । पर मैं एक छोटी-सी भल की ओर आपका है, गुप्त जी का स्वास्थ्य वैसा अच्छा नहीं है। यदि ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ। आपने लिखा है कि वे इस कारण इस पद को स्वीकार न करें तो मैं यह 'वन्दे मातरम्' का गान वहाँ न होना आपको खटका था। प्रस्ताव करूँगा कि नीचे लिखे तीन नामों में कोई एक नाम सो ऐसा नहीं है। जब महात्मा जी भीतर कपाट खोलकर चुना जाय । पधारे और धार्मिक ग्रन्थों का पाठ हो चुका तब पहले
(१) श्री राहुल सांकृत्यायन 'अई भुवनमोहनी' से ध्यान, फिर 'वन्दे मातरम्' से वन्दना
(२) श्री पुरुषोत्तमदास टंडन हुई थी । लाउड स्पीकर का प्रबन्ध कुछ गड़बड़ा जाने से
(३) श्री जमनालाल बजाज़ व अत्यन्त शोर के कारण बाहर सुनाई नहीं पड़ा । वह
--एक हिन्दी-प्रेमी वन्दना व ध्यान माता की मूर्ति के सामने ही होना उचित हिन्दी में अँगरेज़ी महीने किस प्रकार लिखे जायँ ? जानकर उसका प्रबन्ध भीतर मूर्ति के पास हुअा था। हिन्दी-भाषा में अँगरेज़ी महीनों के नाम किस प्रकार कृपा कर अगले अंक में इस भूल को सुधारने की कृपा लिखे जायँ, इस पर शायद समुचित विचार नहीं हश्रा है। कीजिएगा । अनुग्रहीत हूँगा।
यही कारण है कि एक ही अँगरेज़ी महीने का नाम लोग साथ में पुस्तक व छपा हुअा गान का परचा जा रहा हिन्दी में कई तरह लिखते हैं। उदाहरणार्थ ता० २७ सितहै जो उस समय बँटा था।
म्बर की 'बिजली' के सम्पादकीय विचार में 'अक्तूबर' लिखा भवदीय
है और उसी अंक के समाचार-संग्रह कालम में 'अक्टूबर' ।
शिवप्रसाद गुप्त 'सरस्वती' उसे आक्टोबर लिखती है। कोई सितम्बर सम्मेलन का सभापति कोन हो ? लिखता है तो कोई 'सेप्टेम्बर'। इसी प्रकार 'फ़रवरी' यह प्रसन्नता की बात है कि इस वर्ष हिन्दी-साहित्य- 'फर्वरी' और 'फेब्रुअरी' तथा 'ऐप्रिल' और 'अप्रैल' भी सम्मेलन मदरास में होने जा रहा है। गत वर्ष के लिखे जाते हैं। मेरे विचार में अँगरेज़ी महीने हिन्दी सम्मेलन के सभापतित्व के लिए 'सरस्वती' में किसी ने बाबू भाषा में इस प्रकार लिखे जाने चाहिए -जनवरी, शिवप्रसाद गुप्त का नाम लिया था। मेरा ख़याल है कि फ़रवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितम्बर, इस वर्ष सम्मेलन को बाबू शिवप्रसाद गुप्त से बढ़कर अक्तूबर, नवम्बर, दिसम्बर। आशा है, हिन्दी के अधियोग्य सभापति नहीं मिल सकता। हिन्दी का इतना ज़बर- कारी विद्वान् इस पर अपनी सम्मति प्रकट करेंगे। दस्त हामी शायद ही कोई दूसरा हो । एक ऐसे स्थान
योगेन्द्र मिश्र, मुज़फ़्फ़रपुर।
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