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________________ संख्या ६] नकल करते देखा । पूछने पर मालूम हुआ कि वे पिछले १५ दिनों से सन्ध्या का समय एज्युकेशन कोर्ट में बिताते हैं और जब तक यह कोर्ट रहेगा तब तक इसी प्रकार आते रहेंगे । ज्युकेशन इस प्रकार एक के बाद एक असंख्य शिक्षाप्रद वस्तुओं का अवलोकन कर दर्शक कुछ अधिक शिक्षित हो बाहर निकलता था । बाहर श्राते समय, दर्वाज़े पर दर्शकों के लिए यदि लिखना चाहें तो अपनी राय लिखने के लिए जो रजिस्टर रखा था, उसे देखकर उसे प्रसन्नता होती होगी कि देश तथा विदेश के सभी वय और परिस्थिति के लोगों का एज्युकेशन कोर्ट के सम्बन्ध में वही विचार जो उसके । सभी लोगों का कहना था कि एज्युकेशन कोर्ट अत्यन्त शिक्षाप्रद, सुसज्जित और सारी नुमाइश में सर्वोत्कृष्ट कोर्ट था । यही कारण था कि देश के अनेक ज़िम्मेदार लोगों की राय थी कि इस कोर्ट को एक स्थायी शिक्षा-प्रदर्शनी का रूप दे दिया जाय । 'एज्युकेशन कोर्ट' की ओर से एज्युकेशन सप्ताह मनाया गया था जिसमें प्रान्त भर के लगभग २५ हज़ार लड़कों ने * “ We are over sixty years of age, but the saying live and learn" has never been more fully impressed upen us by practical experience than to-day."-Rao Raja, Raj Bahadur Pandit Shyam Bihari Misra and Pandit Sukhdeo Behari Misra. "I am going back, after a visit to this Court, a better educated man."-Hon'ble Pandit P. N. Sapru. + "इस प्रदर्शनी के शिक्षा-भाग को देखकर मैं बहुत प्रसन्न हुआ और मुझे शिक्षा भी मिली। अपने मित्र चतुर्वेदी जी को उनकी इस सुन्दर कृति पर बधाई देता हूँ ।" - बाबू पुरुषोत्तमदास जी टंडन । "It is the best of its kind I have so far seen in this country. " - Mr. C. Y. Chintamani. "There is nothing better, more instructive and more interesting that I have seen in the Exhibition than the Education Court.” - The Right Honourable Sir Tej Bahadur Sapru and Shriyut Sachchidanand Sinha. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat KETTRICO पं७१ [ एज्युकेशन वीक में 'मार्च पास्ट' के लिए बैण्ड के साथ विद्यार्थी तयार खड़े हैं। इसमें एक हज़ार से अधिक विद्यार्थी सम्मिलित हुए थे । ] भाग लिया था। इस सप्ताह के कार्यक्रम का स्थान था नुमाइश का विशाल “ग्रेहाउंड स्टैडियम" । केवल एज्युके - शन सप्ताह के जलसों में ही यह विशाल " स्टेडियम " आदमियों से ठसाठस भरा हुआ देखा गया । अपने अनेकानेक खेलों से लड़कों ने दर्शकों को मुग्ध कर लिया था। बच्चों का इतना बड़ा सामूहिक और संगठित उत्सव प्रत्येक के जीवन पर एक स्थायी और अमिट छाप छोड़नेवाला था । पारितोषिक वितरण का दृश्य और भी प्रभावान्वित करनेवाला था । इस दिन माननीय विशेश्वरनाथ जी श्रीवास्तव चीफ़ जज, श्रवध, सभापति थे और श्रीमती खरेघाट ने पारितोषिक वितरण किया था। चाँदी की १८ शील्ड और अनेक अन्य पारितोषिक दिये गये थे I चारों ओर नुमाइश भर में एज्युकेशन- सप्ताह की हो धूम थी 1 [ एज्युकेशन वीक के पारितोषिक वितरण में महिलाविद्यालय की लड़कियाँ मंगलाचरण कर रही हैं ।] www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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