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________________ सरस्वती [भाग ३८ [एज्युकेशन वीक की अंतिम प्रतियोगिता देखने के । एज्युकेशन वीक में एक देहाती स्कूल के ड्रिल का प्रदर्शन । लिए ग्रेहाउंड रेसिङ्ग स्टेडियम में दर्शकों की भीड़'।] एज्युकेशन कोर्ट का ऊपरी प्रबन्ध अद्वितीय था। चीज़ों की सजावट सुरुचिपूर्ण और मनोवैज्ञानिक ढंग पर थी। दर्शकों के छूने और हटाने पर भी चीजें सजी हुई रहती थीं। गाइड उत्साह और नम्रता से दर्शकों को समझाते थे। वे सभी उत्साही और शिष्ट नवयुवक थे। इस कोर्ट के संयोजक भी हर समय सामने नज़र आते थे-- कभी स्वयं चीज़ों को साफ करते और ठीक स्थान पर सजाते, कभी दर्शकों को समझाते और कभी गाइडों को निर्देश करते हुए। इतने ठंढे दिनों में भी भीड़ की अधिकता से कभी कभी लोग मूच्छित हो जाते थे । ऐसी परिस्थिति के लिए 'फर्स्ट एड' का प्रबन्ध था। बाहर स्त्रियों के अलग बैठने तथा पुरुषों-स्त्रियों के पास पास बैठने की जगह का प्रबन्ध था। अगर लोग खेलना चाहें तो बैडमिंगटन का [स्कूलों के बागों की उपज । प्रबन्ध भी था। सन्ध्या को सिनेमा-द्वारा शिक्षा-सम्बन्धी तसवीरें दिखाई जाती थीं। एज्युकेशन कोर्ट में दर्शकों की को देखकर इसके संयोजक पं० श्रीनारायण चतुर्वेदी (एम० सुविधा और उनसे सद्भाव रखने का पूरा ध्यान दिया ए०, (लंदन), इन्स्पेक्टर अाफ़ स्कूल्स, फैज़ाबाद) की प्रतिभा, गया था। यही कारण था कि यह कोर्ट सारी नुमाइश भर सौजन्य और संगठन-शक्ति से विशेष प्रभावित होते थे। में सबसे अधिक लोक-प्रिय था और लोग एज्युकेशन कोर्ट वास्तव में इस कोर्ट की सफलता का सारा श्रेय उन्हीं को है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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