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। संख्या ५]
सामयिक विचार-प्रवाह
सराहना करते हैं कि इस कठिन काम को उन्होंने प्रतिनिधि वायसराय से भेंट करने की इच्छा प्रकट करे तो अपने हाथ में लिया है। कुछ लोगों का कथन है कि वायसराय समझौता करने के लिए उससे मिलने को ऐसे मंत्रिमंडलों को नियुक्त करना विधान के विरुद्ध है। खुशी से तैयार होंगे। किन्तु ब्रिटिश सरकार इस बात को मानने के लिए तैयार जहाँ तक भविष्य का सम्बन्ध है वह व्यवस्थापिका नहीं है । ऐक्ट में प्रान्तीय शासन को चलाने के लिए सभात्रों के रुख पर निर्भर करता है। ऐक्ट में लिखा है मंत्रिमडल की आवश्यकता अनिवार्य कर दी गई है। उसमें कि विधान के कार्यान्वित होने की तारीख से ६ महीने के . लिखा है कि गवर्नर को सलाह व सहायता देने के लिए अन्दर ही वे सभायें बुलायी जाय । हो सकता है कि मंत्रियों की एक परिषद् होगी। और उसमें यह भी लिखा अल्पमतवाले मंत्रिमंडलों की नीति को व्यवस्थापिका है कि जहाँ तक मंत्रियों को चुनने का सम्बन्ध है, गवर्नर सभायें स्वीकार कर लें । अगर ऐसा हुआ तो ठीक ही है । अपने स्वतंत्र इच्छानुसार काम करेगा। एक्ट का श्राशय अगर व्यवस्थापिकात्रों ने उनकी नीति को स्वीकार न यह ज़रूर है कि अगर सम्भव हो तो मंत्रियों का चुनाव किया तो उन्हें अधिकार होगा कि वे निर्धारित रूप से बहुमतवाले दल से करना चाहिए, क्योंकि ऐसा न होने अपनी अस्वीकृति प्रकट करें। फिर बहुमतवाले दल को से कोई मंत्रिमंडल व्यवस्थापिका में अपने बिलों को नहीं उत्तरदायित्वपूर्ण शासन की संसार-प्रचलित रीति के पास कर सकेगा और न ख़र्च की मांगों को स्वीकार करा अनुसार मंत्रिमंडल बनाने का और मंत्रियों को अपदस्थ सकेगा, इसीलिए हिदायतनामे के ७ वे पैरा में लिखा है करने का अधिकार होगा। कि ऐसे मंत्रियों को चुनने का भरसक प्रयत्न करना चाहिए संरक्षित अधिकार विधान का एक अन्तर्गत अंग जो व्यवस्थापिका में बहुमत को अपने पक्ष में रख सकें। है । पार्लियामेंट के अतिरिक्त और कोई उसमें परिवर्तन नहीं किन्तु यह आदेश बहुत सख़्त और अपरिहार्य नहीं है। कर सकता। गवर्नर कांग्रेस को विधान की उन शर्तों से
अगर बहुमतवाले दल के प्रतिनिधि पद-ग्रहण करना जिनसे और सब दल बँधे हुए हैं, मुक्त नहीं समझ सकते। अस्वीकार कर देते हैं तो फिर गवर्नर को इस बात की मैं खुशी के साथ इस बात को जो सर सैमुएल होर तथा स्वतन्त्रता है कि वह अन्य व्यक्तियों को मंत्रिमंडल बनाने दूसरों के द्वारा कही गई है, फिर दुहराता हूँ कि कोई कारण के लिए निमंत्रित करे, क्योंकि सम्राट की सरकार का नहीं है कि गवर्नर के विशेषाधिकारों के उपयोग करने की जारी रहना आवश्यक है। अगर ऐसे लोगों ने गवर्नर आवश्यकता क्यों उत्पन्न हो । वे अपने विशेषाधिकारों का के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है तो ऐक्ट में ऐसी उपयोग करेंगे या नहीं, यह बात मंत्रियों की नीति और कोई बात नहीं है जो उनके या गवर्नर के काम को कार्य पर ही निर्भर करेगा। सहयोग और सहानुभूति ही गैर-कानूनी कर दे।
के आधार पर विधान संचालित हो सकेगा यह भी सलाह दी गई है कि वायसराय महात्मा गांधी को बुलावें और पदग्रहण के सम्बन्ध में अपने रुख में परिवर्तन करने को उन्हें राजी करें, क्योंकि उन्हीं के कहने से
कांग्रेस की विज्ञप्ति कांग्रेस ने यह रुख अख्तियार किया है। मैं नहीं समझता इस सम्बन्ध में भारतीय कांग्रेस कमिटी के दफ्तर कि ऐसा करने से कुछ लाभ होगा। कांग्रेस के लोगों ने से भी एक विज्ञप्ति निकली है, जिसका एक महत्त्वही पद-ग्रहण करने से इनकार किया है, अतः जब तक वे पूर्ण अंश इस प्रकार हैअपने रुख को बदलने के लिए तैयार न होंगे तब तक हमारे मित्र कहते हैं कि कांग्रेस उन थोड़े दिनों में इस सम्बन्ध में और कुछ कहना फ़ज़ल है। इसके विपरीत भी किसानों की दशा सुधारने के लिए कुछ न कुछ कर ही अगर गवर्नरों की वैधानिक स्थिति के सम्बन्ध में ग़लत- सकती। पर कांग्रेस को विश्वास है कि उतना तो छतारी, फहमी होने के कारण ही उन्होंने अपना निर्णय किया है राव और रेड्डी भी करेंगे। मंत्रिमण्डल बने या न बने, और अगर महात्मा गांधी या कांग्रेस का और कोई जनता का कुछ भला होगा ही और वह इस कारण कि
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