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________________ एक रोचक कहानी सम्राट् का कुत्ता लेखक, श्रीयुत कमलकुमार शर्मा anememजमहल से बादशाह का प्यारा कुत्ता खुला रह गया है, किसी प्रकार बाहर निकल आया है, ISLTA खो गया था। कुत्ता देखने में कुछ गाड़ी में चढ़ने का अभ्यस्त है। खूबसूरत नहीं था, और न उसमें एक सिपाही अपनी ड्यूटी पर खड़ा था। मेहतर कुछ ख़ास विशेषता ही। लेकिन उसके पास गया और सलाम कर एक तरफ़ खड़ा हो CREAD था तो अाखिर राजा का प्रिय गया। फिर धीरे-धीरे बोला- 'मैंने एक कुत्ता पकड़ा Ravaw कुत्ता। उसे कोई पहचान न सका। है, ज़रा उसको ........" वह अपनी ओर किसी को आकर्षित करने में सफल “देखू !” कहकर सिपाही मेहतर के पीछे-पीछे गाड़ी नहीं हुआ। के पास आया। कुत्ते को भलीभाँति देखकर सिपाही ने ____ जब वह कुत्ता एक गन्दी और पतली गली में मटर- मेहतर को ज़ोर से एक घुसा मारा; और फिर गुस्से से गश्ती कर रहा था, एक सरकारी मेहतर की निगाह उस चिल्लाकर कहा-"अबे, अो गधे, तेरी अक्ल क्या घास पर पड़ी। कुत्ते के गले में पट्टा नहीं था, इसलिए उस चरने गई है ? ऐसे कुत्ते क्या कभी भले आदमी पालते ने सोचा कि अगर किसी भद्र पुरुष का यह कुत्ता हैं ? कितना दुबला-पतला है, हड्डियाँ निकल रही हैं । इस · होता तो इसके गले में पट्टा अथवा चेन ज़रूर रहती। शहर के सब भद्र आदमियों के कुत्तों को मैं अच्छी तरह लेकिन यहाँ तो दोनों चीजें नदारद थीं। राजाशा थी कि पहचानता हूँ। यह इस शहर का कुत्ता नहीं है।" यदि कोई भी कुत्ता रास्ते में चहलकदमी करता हुआ - सिपाही की बात सुनकर मेहतर ने सोचा-यह ठीक नज़र आये तो उसे पकड़कर सरकार के यहाँ जमा कर ही तो कहता है, मेरी ही भूल है। यह सोचकर वह अपने दे। यह कानून जारी था। __ काम में लग गया। जाते वक्त परम श्रद्धा के साथ सिपाही जिस तरह शिकारी अपने शिकार पर टूटता है, उसी को सलाम न करने की धृष्टता न की। प्रकार वह भी उस कुत्ते पर टूटा और पकड़कर उसे हाथ- उसी वक्त एक मुटिया उधर से निकला । उसने कुत्तों गाड़ी में बन्द कर दिया। गिरफ्तारी के समय कुत्ते ने की गाड़ी में उस कुत्ते को देखकर बड़े ही भक्तिभाव से किसी प्रकार की बाधा उपस्थित न की। नमस्कार किया। उस गाड़ी में कई जाति के कुत्ते थे। वे स्वजाति के सिपाही ने आश्चर्य से कहा-“अबे मुटिया, क्या नवागन्तुक के लिए गाड़ी में जगह नहीं करना चाहते थे। तू पागल है ?" इसलिए कुत्ते के प्रवेश करते ही उन कुत्तों ने बड़ा गोल- मुटिया ने सरलता से पूछा--"क्यों सिपाही जी ?" . . माल मचाया। लेकिन उस नवागन्तुक ने प्रत्युत्तर न देने "कुत्ते को सलाम क्यों किया ?" में ही अपना कल्याण समझा। उसको चुप बैठे देख वे मुटिया ने बड़ी गम्भीरता से उत्तर दिया-"मैं पागल भी चुप हो गये। क्यों ? यह काले और सफ़ेद रंग का कुत्ता हमारे महाराज __ मेहतर विस्मित हुअा, क्योंकि उसने आज तक ऐसा का है । क्या आपने नहीं पहचाना ?" . कुत्ता अपनी ज़िन्दगी में नहीं देखा था जो गाड़ी में बन्द सिपाही का सिर घूमने लगा। उसे ऐसा प्रतीत हुआ, करने पर भी चुपचाप रहे और एक दफ़े भी अपनी गिरफ़्तारी मानो उसके चारों ओर की पृथ्वी धूम रही है। अपने को का विरोध न करे। इसका कारण वह सोचने लगा कि सँभालकर रोब गाँठते हुए उसने मेहतर से कहा--"क्यों हो न हो यह किसी का पालतू कुत्ता है, असावधानी से बे धाँगड़ के बच्चे, तेरी इतनी हिमाकत कि हमारे शाहंशाह ४३३ Shree Sueharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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