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________________ संख्या ५ ] .. हो जाने पर भली भाँति सींची जा सकेगी। बॅरेज बनने के पूर्व १८,५०,००० एकड़ की सिंचाई होती थी, जिसमें अत्र ३१,६३,००० की वृद्धि हुई है । बॅरेज से जो कतिपय नहरें निकाली गई हैं तथा जो भू-भाग उनसे सींचे जाते हैं, नीचे के काष्ठक से उनका परिचय प्राप्त होगा । सिन्धु का बायाँ किनारा संख्या नहर का नाम * १ ईस्टर्न नारा कनाल *२ रोहरी-कॅनाल ३ ख़ैरपुर-फ़ीडर-ईस्ट ४ ख़ैरपुर- फ़ीडर-ईस्ट सन् सिन्ध का लॉइड बॅरेज और रुई की खेती लम्बाई सींचा जानेवाला प्रदेश २२६ मील थरपारकर-ज़िला २०८ मील नवा शाह और कुछ शों में हैदराबाद जिला } खैरपुर-राज्य १९२२-१९३२ १९३२-१९३३ १९३३-१९३४ १९३४-१९३५ १९३५-१९३६ दस वर्षों का वार्षिक औसत के वर्ष का 33 33 33 33 33 "" 33 33 93 33 "3 " " " י 95 33 * सिन्ध में रुई की खेती का ९५ प्रतिशत भाग इन दो नहरों और इनकी विविध शाखाओं पर निर्भर है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat सिन्धु का दाना किनारा ५ राइस कनाल ८२ मील मध्य- सिन्ध के चावल की खेती करनेवाले प्रदेश १३१ मील दादू ज़िला ६ दादू-कॅनाल ७ नाथ वेस्टर्न कनाल ३६ मील लारकाना जिला बॅरेज की बदौलत रुई की खेती का कैसा विकास हुआ है, व इसका ब्योरा लीजिए । बॅरेज के जनवरी १९३२ में खुल जाने के बाद सिंध में खेती का (विशेषकर रुई की खेती का ) बहुत शीघ्र विकास हुआ है । बॅरेज द्वारा बारहों मास के लिए - पाशी का सुप्रबन्ध हो जाने से रुई की खेती के विस्तार में और उसकी पैदावार में बहुत अच्छी तरक़्क़ी हुई है जैसा कि निम्नलिखित अंकों से स्पष्ट होता है । विस्तार (एकड़) ३,२०,८८६ ३,४२,८६० ५,२०,९८६ ६,२२,७१० ८,०४,१७० पैदावार ४०० रतल की प्रतिगाँठ ) ९५,६६० गाँठें १,१३,५८० १,६९२१० २,५०,९६०,, ३,२३,०२० " ४२७ " विस्तार के अंकों से ज्ञात होता है कि १९३५-३६ में रुई की खेती का विस्तार बॅरेज के पूर्व के औसत से १५० प्रतिशत बढ़ गया है । पैदावार के भी अंक बतलाते हैं कि इस विस्तार के बढ़ने के साथ साथ प्रतिएकड़ से प्राप्त पैदावार में भी वृद्धि हुई है । बॅरेज निर्माण के पूर्व १० वर्षों मेंौस्त रूप से १२० रतल रुई प्रतिएकड़ से प्राप्त होती थी, जो पिछली दो फ़सलों में १६० रतल तक प्राप्त होने लगी है। इस विकास के तीन कारण कहे जा सकते हैं( १ ) बारहों मास के लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था । (२) सुधरे और अधिक रुई उत्पन्न करनेवाले पौधों की इस प्रकार था - खेती का फैलाव | (अ) सिंघ - देशी (३) ज़मीन जोतने और तैयार करने के उत्तम साधनों का उपयोग । (ब) सिंध-अमेरिकन (स) आयात की हुई 'इजिप्शियन' और 'सी- इलेण्ड' जाति की २,५०० * यह नहर गर्मी के महीनों में बन्द रहती है । सिंचाई का सुप्रबन्ध हो जाने से लम्बे रेशेवाली 'सिंधअमेरकन' रुई को खेती का बहुत विकास हुआ है। बॅरेज के पूर्व १० वर्षों में श्रीसत रूप से २४,६४० एकड़ में इस रुई की खेती होती थी तथा १९३२-१९३६ के वर्षों में यह औसत १,९९, ४२५ एकड़ था, पर पिछली फ़सल में प्रान्त के प्राधे भाग में अमेरिकन रुई की ही खेती की गई है। सिन्ध में कितने प्रकार की रुई उत्पन्न की जाती है, इसका पता नीचे के अंकों से लगेगा सिन्ध प्रान्त के बॅरेज प्रदेश में तीन प्रकार की रुई की खेती होती है । १९३५-३६ की फ़सल में इनका विस्तार ४,२३,८०० एकड़ ३,८०,३०० "" "" www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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