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________________ ४२८ . [भाग ३ 3.11RA सकेर जिला Kारकाना जिला 1G । बलूचिस्ता न . - कोटरी दराबाद हैदराबाद मदीन १२ पा २ क २. करा ची जिलो । का स्वतन्त्र बाज़ार है और अपने खुरखुरेपन के कारण यह मिस. जिला ऊन में मिलाने के लिए बहुत उपयुक्त होती है। १९३५. ३६ की फसल में सिन्ध देशी रुई की फ़सल इस प्रकार थीलाइडवरेज (१) बायाँ किनारा - एकड़ नवावशाह-ज़िला हैदराबाद-जिला . १,१०,१०० थरपारकर-ज़िला १,०७,६०० (२) दाहना किनारा १४,४०० कुल ४,२३,८०० (ब) सिन्ध-अमेरिकन-यह रुई अमेरिका की 'अपलैण्ड ज्यार्जियन' जाति की है। इसके बीज यहाँ पजावप्रान्त से लाये गये थे। इसके प्रमुख उन्नत रेशे दो हैं(१) 'सिन्ध-सुधार', (२) 'सिन्ध ४ एफ'। 'पंजाब-अमेरिकन २८९ एफ़' से कृषि विभाग द्वारा 'सिन्ध-सुधार' रेशा कराची निकाला गया था। इसके रेशों की लम्बाई १ से ११ इञ्च है और जिनिंग प्रतिशत ३० है। साधारणतया यह पैदा भी अधिक होती है और ऋतु-सम्बन्धी फेरफार सहने की कच्छ का ३ और बीमारियों को रोकने की शक्ति भी इसमें काफी होती है । इस कारण इसकी खेती दूसरी उपयोगी अमेरिकन सिन्ध-प्रान्त जातियों की अपेक्षा अधिक होती है । इसके ढोंढ़ ठीक अब इन रुइयों का ब्योरा लीजिए- . तरह से खुलते होने के कारण इकट्री की गई रुई स्वच्छ (अ) सिन्ध-देशी-प्रान्त के कृपि-विभाग ने सिन्ध और पत्ती के टुकड़े से मुक्त होती है । बीमारियों से बचाने की असली देशी रुई की एक सुधरी जाति की 'सिन्ध एन० तथा अधिक पैदावार के विचार से इसकी बोनी जल्दी श्रार०' नाम की रुई तैयार की है और यह प्रान्त की स्टैंडर्ड (मार्च या अप्रेल में) की जाती है, किन्तु फ़सल कुछ देर देशी रुई बना दी गई है। यह रुई अधिक उपजती है, से तैयार होती है। चमकीली, सफ़ेद और खुरखुरी होती है इससे इसकी प्रान्त सिन्ध ४ एफ' रुई 'पञ्जाब-अमेरिकन ४ एफ' से में सबसे अधिक खेती होती है। इसका रेशा है इञ्च से निकाली गई है और यह भी एक उन्नत जाति की रुई है। ३ इञ्च का होता है और इसकी जिनिंग प्रतिशत* ३८ है । यह रुई देर से बोई जाने के लिए विशेष रूप से उपयुक्त इसको उपज पुरानी देशी रुई से करीब १५.२० टका है और सिन्धु के दाहने किनारे पर इसकी उपज 'सिन्ध अधिक होती है और फसल भी जल्दी तैयार होती है। यह . एन पार' की अपेक्षा ज़्यादा होने से इसकी खेती सफलता. रुई भिन्न भिन्न रोगों से टक्कर लेने में सफल होती है और पूर्वक की गई है। इसके रेशों की लम्बाई १ से १५ इञ्च भमि तथा ऋतु के अन्तरों को भी सह लेती है। इस रुई है और जिनिंग प्रतिशत ३३ है । यह भी ऋतु-दोषों और बीमारियों से अपनी रक्षा कर सकती है। इसकी फ़सल ___* यदि १०० मन कपास में से जिनिंग याने अोटाई बहुत जल्दी तैयार होती है और यह बात बॅरेज-प्रदेश में करने पर ३८मन रुई और ६२ मन बीज निकले तो उस काफी महत्व रखती है। सन् १९३५-३६ की फसल में सिन्ध रूई की जिनिग प्रतिशत ३८ कही जायगी। में अमेरिकन रुई की फसल इस प्रकार थी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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