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________________ .. ४१२ सरस्वती. रस्वती.. . . [भाग ८३ कौंसिलों के भी ६४ स्थान उसके हाथ लग गये हैं। ये बैरिस्टर थे, परन्तु उद्योग-धन्धों की ओर अधिक से ४८२ मुसलमानों के लिए और ४० झुकाव हो जाने से १८८९ में प्रैक्टिस छोड़कर तनस्त्रियों के लिए थे। इस विजय से देश पर कांग्रेस का प्रभाव मन से उद्योग-धन्धों में लग गये। इन्होंने सैकड़ों धन्धों और भी अधिक व्यापक हो गया है। का संचालन किया, जिनमें करोड़ों की पूँजी लगी हुई थी। १. उक्त चुनाव के परिणाम स्वरूप ग्यारह प्रांतों में से छः बैंकों, मिलों, बीमा, बिजली, लकड़ी और रुई आदि के प्रांतों में कांग्रेस का बहुमत है। इन छः प्रांतों में कारखानों का जाल बिछा दिया और इन सबका वर्षों सयुक्त-प्रांत में २२८ सदस्यों में से १३३, मदरास में तक सफलतापूर्वक संचालन किया। परन्तु बाद को इनका २१५ में १५९. बम्बई में १७५ में ८८, बिहार में पीपल्स बैंक' फेल हो गया. जिसको ये न संभाल सके और १५२ में ९८ मध्य-प्रांत में ११२ में ७१ और उड़ीसा इनका सारा-का-सारा कारबार चौपट हो गया। फलतः ये में ६० में ३६ कांग्रेस के सदस्य चुने गये हैं। शेष पाँच दीवालिया घोषित कर दिये गये। यही नहीं, हाईकोर्ट का प्रांतों में सीमा-प्रात में ५० सदस्यों में कांग्रेस के १९ सदस्य अपमान करने के अपराध में ये अनिश्चित काल के लिए पहुँचे हैं, पर अन्य दलों के १० सदस्यों का सहयोग पा जब तक माफ़ी न माँगें तब तक के लिए जेल में डाल जाने से उसका उस प्रांत में भी बहुमत हो गया है । अब दिये गये। अन्त में जब हाईकोर्ट ने इनकी सजा पर रहे ४ प्रांत, उनमें बंगाल में उसके ५४ सदस्य हैं जो उसकी पुनविचार किया तब ये छः महीने और एक दिन की असेम्बली के किसी भी दल की सदस्य-सख्या से संख्या में कैद भुगत चुकने के बाद, कुछ महीने हुए, जेल से छोड़े अधिक हैं। यही हाल अासाम की असेम्बली का है। उसमें गये । तब से ये उपयुक्त मकान में रह रहे थे। भी उसके ३५ सदस्य हैं । हाँ, पञ्जाब और सिन्ध में कांग्रेस लाला हरकिशनलाल एक बहुत बड़े कारबारी व्यक्ति अल्पमत में है। पंजाब में केवल १८ और सिध में ही तो थे ही. वे अपने प्रान्त के सामजानक कार्यों से भी सदस्य पहुँच सके हैं। इन दोनों प्रांतों में, साथ ही बगाल विशेष अनुराग रखते थे। सन् १९१२ में वे औद्योगिक .. में भी मुसलमानों की ही प्रधानता है। इस प्रकार तीन कान्फरेंस के सभापति बनाये गये थे। इसके बाद वे । प्रांतों को छोड़कर शेष पाठ प्रांतों में काग्रेस का ही बोलबाला बैंकिग इन्कायरी-कमेटी के चेयरमैन बनाये गये थे। १९१० रहेगा। काग्रेस की यह सफलता वास्तव में उसके अनुरूप की कांग्रेस की स्वागतकारिणी के वे सभापति मनोनीत - ही हुई है और वह इन प्रांतों में अपने इच्छानुकूल कार्य किये गये थे। फौजी-कानून के दिनों में वे भी विद्रोही कर सकेगी। घोषित किये गये थे और उन्हें श्राजीवन देश-निकाले निर्वाचन के इस. परिणाम से यह बात भले प्रकार की सज़ा दी गई थी। परन्तु १९१९ के बड़े दिनों स्पष्ट हो गई है कि कम-से-कम सारा हिन्दू भारत कांग्रेस के में वे छोड़ दिये गये और उसके बाद ही पंजाब-सरकार के साथ है। यहाँ तक कि उसने अपने बड़े-बड़े माननीय मिनिस्टर बनाये गये थे। वे अपने प्रांत के ऐसे ही प्रख्यात व्यक्तियों तक की कांग्रस के आगे उपेक्षा की है । इस व्याक्त थे। वे एक बड़े भारी कारबारी ही नहीं थे. किन्तु अनुपम सफलता के लिए काग्रेस के कायका सवथा वैसे ही राजनीतिज्ञ तथा देश-भक्त भी थे। यह कितने ' बधाई के पात्र हैं। परिताप की बात है कि ऐसे महान् पुरुष का ऐसा महान् दुःखद अन्त हुआ ! -- स्वर्गीय लाला हरकिशनलाल पंजाब के प्रौद्योगिक क्षेत्र के नेपोलियन लाला हर - भारत-सरकार का बजट किशनलाल की १२ फरवरी की रात को एकाएक मृत्यु हो भारत-सरकार का सन् १९३७-३८ का बजट प्रकाशित गई। इन दिनों इनकी श्राथिक दशा शोचनीय हो गई हो गया और बहत वाद-विवाद और विरोध के बाद पास थी और ये 'दयालांसह मैन सयम' में अपने दो नौकरों के भी हो गया। साथ अकेले रह रहे थे। गत वर्ष सन् १९३६-३७ के बजट में८,५३६ लाख Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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