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________________ ३६० . सरस्वती [भाग ३८ --- हैं और कुछ नई चीजें तो उन्होंने वहाँ लाकर लगा भी दी है। वह अपने बैंकों, व्यापारिक कोठियों और जहाज़ी हैं। इनके लिए उन्होंने वैज्ञानिक खोज में बड़ा रुपया लाइनों का जाल फिलिपाइन में फैला रहा है। यह खर्च किया है। वे पेरू से रुई, लिबेरिया से काफ़ी, सिंगा- जाल धीरे-धीरे विस्तृत और मजबूत होता रहा है, पर पुर से ताड़ के पेड़ और अनेक प्रकार के फल दूसरे स्थानों अभी फिलिपाइन-राज्य या संयुक्त-राज्य की इस विषय की से लाये हैं । यह सब इसलिए कि भविष्य में जब फिलिपा- नीति निश्चित नहीं है। वहाँ के नेता मैन्युअल कुज़ेनइन 'जापानी साम्राज्य का हिस्सा होगा तब उन्हें सब जो संभवतः स्वतन्त्र हो जाने पर वहाँ के प्रेसीडेंट बनेश्रावश्यक वस्तुएँ यहीं से मिल सकें। पता नहीं कि इस विषय में क्या सोच रहे हैं, पर यह निश्चय साथ ही प्रतिवर्ष जापान का बना हुआ माल भी है कि इस प्रश्न का हल करना उनके लिए बड़ा कठिन बड़े भारी परिमाण में आता है और उसकी खपत भी होगा। खूब होती है । उधर अमेरिका से जो माल आता था वह .. इस व्यापारिक स्थिति से चाहे संयुक्त राज्य को भारी कम होता जा रहा है और जापानी माल का आयात बढ़ नुकसान न भी हो, पर फिलिपाइनवालों को भारी नुकसान रहा है । १९३२ में ६०,००,००० डालर का माल, १९३३. है । फिलिपाइन का प्रधान उद्योग खेती है और गन्ना वहाँ में, ९५,००,००० डालर का माल और १९३४ मं की ख़ास उपज है। २०,००,००० मनुष्य इस उद्योग में १,२४,००,००० डालर का माल जापान से आया। केवल लगे हुए हैं । ४० से ५० प्रतिशत यहाँ की उपज विदेश को उवालो के रास्ते १९३४ में २,७९,००० डालर का माल भेजी जाती है और इस सपका संयुक्त राज्य ख़रीदता जापान से आया और उसी वर्ष ११,९०० डालर का माल है। १९३४ में फिलिपाइन से ६,४०,००,००० डालर की रिका से आया। उवाश्रो-बन्दरगाह पर १९३४ में साल शक्कर संयुक्त-राज्य को भेजी गई थी और यह वहाँ की भर में ९८ जापानी जहाज़ आये-गये और उसी वर्ष केवल बाहर भेजी जानेवाली चीज़ों का ६१% थी। संसार के ४ अमेरिकन जहाज़ वहाँ पाये। दसरे देश अपनी शक्कर की आवश्यकता को स्वयं परी व्यापारिक दृष्टि से कुछ और भी लाभ है, जो जापान कर लेते हैं, थोड़े देश बाहर से शक्कर मँगाते हैं । के पक्ष में है। फिलिपाइन में वे अनेक चीजें पाई जाती संयुक्त राज्य से राजनैतिक सम्बन्ध विच्छेद हो जाने पर यह हैं. जिनकी आवश्यकता जापान को है। खनिज पदार्थों में आवश्यक नहीं कि वह यहीं से शक्कर ख़रीदे और यदि । और क्रोमाइट होते हैं। लोहा और शकर के उद्योग को धक्का लगा तो फिलिपाइन की सारी क्रोमाइट युद्ध के शस्त्र बनाने के काम में आते हैं । नारियल प्रा.थक अवस्था पलट जायगी, क्योंकि शक्कर की भी खूब होता है, जिससे ग्लेसेरिन निकलती है और एक अाय वहाँ की राष्ट्रीय आमदनी का २ है। जब यह प्राय नाइट्रेग्लिसरीन नामक ध्वंसक पदार्थ बनाने के काम में चली जायगी तब बड़ी कठिन समस्या उत्पन्न हो जायगी। अाता है। नारियल का कोयला गैस मास्क बनाने के काम में अभी तो संयुक्त-राज्य उसकी शक्कर ख़रीदता है और उसके आता है। हाल में ही यहाँ मिट्टी का तेल भी निकल आया बदले में फिलिपाइनवासी वहाँ की बनी हई चीजे-मोटर, है । गन्ना, लकड़ी, सन और काफ़ी भो यहाँ खूब होते हैं। रुई के कपड़े, रासायनिक पदार्थ प्रतिवर्ष ७,५०,००,००० यह सब श्राकषण जापानियों को है, पर फिलिपाइनवासियों डालर के ख़रीदते हैं। को भी कुछ कम आकर्षण नहीं है। उन्हें जापान की यह ठीक है कि जापानवाले वहाँ से कच्चा माल बनी हुई चीज़ बहुत सस्ती मिल जाती है। जहाँ उन्हें ख़रीदेंगे, पर वह तो वही माल खरीदेंगे जिसकी उन्हें अमेरिकन साइकिल के लिए ३० डालर देने पड़ते हैं, जापान के उद्योग के लिए आवश्यकता होगी न कि शक्कर । वहाँ उन्हें जापानी साइकिल तीन डालर में मिल जाती जापान का स्वाथ वहाँ अपना बना हुआ माल बेचने में है है । दूसरी भी चीज़े अपेक्षाकृत बहुत सस्ते भाव में मिल न कि खरीदने में । जाती हैं। ____ इन राजनैतिक और आर्थिक प्रश्नों में गुथे हुए और व्यापारिक क्षेत्र में जापान का असर बहुत बढ़ रहा भी प्रश्न हैं। संयुक्त राज्य ने फिलिपाइन-वासियों को Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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