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संख्या ४]
भारत के प्राचीन राजवंशों का काल-निरूपण
पश्चात् गूती जाति का प्रवेश होता है और उसके राजाओं से लेकर इसिन- वंश के दसवें राजा 'इन्साखबानी' तक के राजाओं का राज्य-काल इसमें लिखा हुआ पाया जाता है।
३- इल्यू-बी० ४४४ वंशावली - यह सुप्रसिद्ध पुरातत्त्ववेत्ता वेल्ड और ब्लन्डेल को इसिन की खुदाई में प्राप्त हुई थी। अब यह ब्रिटिश म्यूजियम में रक्खी हुई है और वहाँ की सुमेर सभ्यता-सम्बन्धी वस्तुत्रों में इसका नम्बर ४४४ है। इसलिए इसको वेल्डब्लन्डेल वंशावली नं० ४४४ कहते हैं । डब्लू-बी० ४४४ इसका संक्षिप्त नाम है। यों तो निप्पुर तथा यह वंशावली एक-सी ही है, परन्तु फ़र्क इतना है कि एरेक के दूसरा राज-वश का जहाँ से निप्पुर वंशावली प्रारंभ होती है, तथा उससे आगे के दो राजवंशों का इसमें काल्पनिक समय दिया हुआ है । परन्तु उर-वंश से दोनों वंशावलियाँ मिल जाती हैं और जहाँ निप्पुर - वंशावली समाप्त होती है उससे भी आगे के सुमेर-राजाओं का राज्य काल इसमें पाया जाता है । इस वंशावली का राजा दमिक निनीशू अन्तिम सुमेर-राजा था और उसके राज्य के २३वें वर्ष में बेबीलन के प्रथम राजवंश के पूर्वे राजा अनुवा मुबाइत बात ने अपने राज्य काल के १७वें वर्ष में इसिन पर आक्रमण किया और वहाँ के अन्तिम सुमेर-राजा दमिक निनीशू को पराजित करके इसिन को अपने राज्य में मिला लिया।
४ - बेबोलोनियन वंशावलियाँ - इसिन-वंश के सुमेर राजा निर्बल हो चले थे, फलतः उनकी सेमाइट प्रजा के एक सरदार ने बेबीलन नगर तथा उसके ग्रास-पास के प्रदेश को सुमेर-राजा से छीनकर अपना राज्य स्थापित किया और बेवीलन नगर को अपनी राजधानी बनाया । इस प्रकार बेबीलन के प्रथम राज-वंश का प्रारम्भ हुा । धीरे-धीरे इसकी शक्ति बढ़ चली और इस वंश के पूर्व राजा अनुपामुवाइत ने इसिन- वंश के अन्तिम सुमेरराजा दमिक निनीशू को पराजित करके सारे मेसोपोटामिया पर अपना राज्य स्थापित कर लिया। इस प्रकार सुमेर-सभ्यता के पश्चात् बेबीलोनियन सभ्यता तथा उसके राजवंश का प्रारम्भ हुआ। इन लोगों ने
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बेबीलन पर ईरानी आक्रमण तक राज्य किया। इनकी भी पूरी वंशावलियाँ पाई जाती हैं, जिनमें प्रत्येक राजा के राज्य काल का समय दिया हुआ है। बेबीलोनिया के ईरानी राजवंश के पश्चात् ग्रीक आक्रमण तक के राजाओं और उनके राज्य काल का विवरण ईरानी लेखों में पाया जाता है। इस प्रकार मेसोपोटामिया
के प्रारम्भ से लेकर अन्त तक के राज बशों के काल का सम्बन्ध ग्रीक-काल-क्रम से जुड़ जाता है और प्रत्येक राज-वंश तथा राजा का ठीक-ठीक राज्य-काल ज्ञात हो जाता है।
ज्योतिष शास्त्र द्वारा चैव वन के प्रथम राज-वंश का काल-निरूपण
हिसाब लगाने से ज्ञात होता है कि ई० पू० २११३ में बेबीलन में प्रथम (सेमाइट) राज-वंश का प्रथम राजा 'सुमुत्रात्रुम' सिंहासनारूढ़ हुआ था । इस काल की सत्यता का दूसरे उपाय से भी समर्थन होता है। बेबीलन का प्रथम राजा जब गद्दी पर बैठा उस समय नक्षत्रों की क्या स्थिति थी, इसका विवरण वेबीलोनिया- साहित्य में पाया जाता है । फ़ादर कग्लर तथा शोश आदि ज्योतिषियों ने इन नक्षत्रों की स्थिति पर से गणना करके बताया है कि ई० पू० २११३ में बेचीलन का प्रथम राजा गद्दी पर बैठा था। इस प्रकार दोनों समय मिल जाते हैं और इस घटना काल की सत्यता सिद्ध हो जाती है ।
इस प्रथम बेबीलोनियन राजवंश के पूर्व राजा अनुवा मुधाइत ने जो सुप्रसिद्ध बेबीलोनियन सम्राट सम्मुराबी का पिता था, अपने राज्य काल के १७ वर्ष में अर्थात् ई० पू० २०१४ में इसिन - नगर पर आक्रमण करके वहाँ के सुमेर राजा दमिक निनीशू को उसके राज्य काल के २३ वें वर्ष में पराजित किया था। इस प्रकार मेसोपोटामिया में सुमेर-राज-वंश का सूर्यास्त हुआ और उसका स्थान बेबीलोनियनराज-वंश ने लिया जो सेमाइट था। सुमेर लोग आर्य थे । इसिन, निप्पुर और किश- वंशावली के राजाओं के राज्य काल को हिसाब लगाने से ज्ञात होता है कि प्रथम सुमेर-राजा उक्कुसि के सिहासन पर बैठने के पश्चात् १२७० वे वर्ष के प्रारम्भ में दमिक निनीशू से श्रन्त्रामुबाइत ने राज्य छीना । इससे ज्ञात होता है कि ई० पू०
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